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निबंध क्या है ?

By - Gurumantra Civil Class

At - 2024-12-13 00:55:33

निबंध (Essay)

किसी भी विषय पर लिखी गई वह रचना, जिसमें विषय-वस्तु से सम्बन्धित विचारों को विस्तृत एवं क्रमबद्ध रूप में इस तरह प्रकट किया गया हो, जिससे उस विषय से सम्बन्धित सारगर्भित जानकारी प्राप्त हो, निबन्ध कहलाती है। (A composition written on any subject, in which the ideas related to the subject matter have been expressed in a detailed and orderly manner in such a way that comprehensive information related to that subject is obtained, is called an essay.)

  • अतः सामान्य शब्दों में कहें तो निबन्ध गद्य की ऐसी विधा है जिसमें निबंधकार अपने भाव या विचार को सुसंगठित, व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत करता है । किसी भी साहित्यिक विधा को एक ऐसी परिभाषा में बांधना जिसमें उसके सभी तत्वों एवं पक्षों का समावेश हो, आसान नहीं । निबन्ध में लेखक का व्यक्तित्व झलकता है । किसी विषय – वस्तु से सम्बन्धित विचारों का ऐसा सुगठित एवं क्रमबद्ध प्रस्तुतिकरण , जिससे उस विषय – वस्तु की विस्तृत या संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित जानकारी मिलती है , ‘ निबन्ध ‘ कहलाता है । (Therefore, in general terms, essay is such a mode of prose in which the essayist presents his feelings or thoughts in a well-organized, systematic and orderly manner.  It is not easy to bind any literary genre in such a definition which includes all its elements and aspects.  The personality of the writer is reflected in the essay.  Such a structured and orderly presentation of ideas related to a subject matter, which gives detailed or brief but concise information about that subject matter, is called 'essay'.)

एक निबंध का उद्देश्य एक उत्तेजना या प्रश्न के जवाब में एक सुसंगत तर्क प्रस्तुत करना है, और पाठक को यह विश्वास दिलाना है कि आपकी स्थिति विश्वसनीय (यानी विश्वसनीय और उचित) है। इसके माध्यम से लेखक किसी भी विषय के बारे में अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करता है। निबंध लिखना और पढ़ना एक महत्वपूर्ण विषय है सभी के लिए। एक श्रेष्ठ निबंध लेखक को विषय का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, उसकी भाषा पर अच्छी पकड़ होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अभिव्यक्ति होती है। (The purpose of an essay is to present a coherent argument in response to a provocation or question, and to convince the reader that your position is credible (i.e. credible and reasonable).  Through this, the writer tries to express his thoughts and feelings about any subject in a very effective way.  Essay writing and reading is an important subject for everyone.  A great essay writer should have a good knowledge of the subject, he should have a good hold on the language.  Everyone has their own expression.)

ऐसा माना जाता है कि एक आधुनिक विधा के रूप में 'निबंध' की शुरुआत 1580 ई. में फ्रांस के लेखक मॉन्तेन   के हाथों हुई। मॉन्तेन ने अपने निबंधों के लिये 'ऐसे'   शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ होता है- 'प्रयोग'। (It is believed that the 'essay' as a modern genre started in 1580 AD at the hands of the French writer Montaigne.  Monten used the word 'such' for his essays which means - 'experiment'.)

निबंध का अर्थ (Meaning of essay)

 
'निबंध' संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'संवार कर सीना। प्राचीन काल में हस्तलिखित ग्रंथों को संवार कर सिया जाता था और इस प्रक्रिया को निबंध कहते थे । धीरे-धीरे इस शब्द का प्रयोग ग्रंथ के लिए होने लगा । वह ग्रंथ जिसमें विचारों को बांधा जाता था, निबंध कहलाने लगा। (  'Essay' is a Sanskrit word, which literally means 'to sew.  In ancient times, handwritten texts were stitched together and this process was called essay.  Gradually this word started being used for the book.  The treatise in which ideas were tied up came to be called essay.)

 
ध्यातव्य दें कि आज 'निबंध' अंग्रेजी के 'एस्से' शब्द के अर्थ में प्रयुक्त होता है। इस प्रकार निबंध में नये अर्थ जुड़े हैं और अनावश्यक अर्थों का त्याग हुआ है । फ्रांसिस बेकन ने 'एस्से' को 'डिस्पर्ड मैडिटेशन अर्थात् विखरे विचार माना है। इस धारणा के अनुसार साहित्यकार के मन में उठने वाले विचारों का लिखित रूप 'एस्से' है । (Note that today 'essay' is used in the sense of the word 'essay' in English.  In this way, new meanings are added to the essay and unnecessary meanings are discarded.  Francis Bacon has considered 'Essay' as 'Dispersed Meditation'.  According to this belief, 'Essay' is the written form of thoughts arising in the mind of the writer.)


 ” विद्यार्थी प्रायः निबन्ध लिखने में संकोच करते हैं तथा यथासम्भव इधर – उधर लिखे निबन्धों को रट लेते हैं । ऐसे निबन्ध प्रभावपूर्ण नहीं होते । इसलिए विद्यार्थियों को निबन्ध स्वयं लिखना चाहिए । निबन्ध लिखने से लेखन क्षमता में निखार आता है । यही ऐसा अवसर होता है । जिसमें विद्यार्थी अपने स्वतन्त्र विचारों की अभिव्यक्ति साहित्यिक ढंग से कर सकते हैं और अपने अन्दर छुपे हुए एक लेखक को उभार सकते हैं । (“Students often hesitate to write essays and as far as possible, they memorize the essays written here and there.  Such essays are not effective.  That's why students should write the essay themselves.  Writing an essay improves the writing ability.  This is such an opportunity.  In which students can express their independent thoughts in a literary way and can bring out a writer hidden inside them.)

निबंध किसी विशेष विषय पर लिखा गया एक अंश है।

निबंध की विशेषताएं (Features of Essay) :- 

1. ‘निबंध ’ में एक लघु आकार वाली रचना होनी चाहिए, जो सुगमता से पढ़ी जा सके और जिसका प्रभाव ऐसा हो जो सरलता से चित्त में संचित हो जाय । (The 'essay' should have a short-sized composition, which can be read easily and whose effect should be such that it can be easily accumulated in the mind.)
2. निबन्ध में चित्रात्मक प्रभाव होना चाहिए , जिससे वह तर्कों का समूह न भासित हो और उसमे किसी सिध्दान्त या पध्दति की प्रतिष्ठा न हो । (There should be pictorial effect in the essay, so that it should not appear as a set of arguments and it should not have the prestige of any principle or method.)

3. यद्यपि निबंध में परिपूर्णता की अनिवार्यता नही स्वीकारी गयी है, फिर भी उसे समग्रता में कलात्मक होना चाहिए । (Although the necessity of completeness is not accepted in the essay, still it should be artistic in totality.)
4. निबन्ध की शैली सरल – सरस – सुगम होना चाहिए । (The style of the essay should be simple – succinct – accessible.)
5. उसमे विषय वस्तु का वैविध्य, संक्षिप्तता, वैयक्तिकता, संगठनात्मकता, सुसम्बध्दता और रोचकता होनी चाहिए । (It should have variety, brevity, individuality, organization, coherence and interestingness of the subject matter.)
6. निबंध में एक आकर्षक शैली के साथ – साथ व्यंग्य विनोद की अभिक्षमता भी होनी चाहिए  । (The essay should have an attractive style as well as an aptitude for sarcasm and humour.)


निबंध के तत्व (Elements of essay)
i) लेखक का व्यक्तित्व (author's personality)
ii) वैचारिक और भावात्मक आधार  (ideological and emotional basis)
iii) भाषा-शैली (language style)

निबंध के प्रमुख आधार होना चाहिए (The major premise of the essay should be) : - 

1. संक्षिप्तता (brevity) ,
2. गद्य की अनिवार्यता (essentials of prose),
3. व्यक्तित्व की प्रधानता (primacy of personality),
4. सजीवता और भाषा-शैली (animation and diction).


निबंध के अंग  (Parts of essay) 
 

1. प्रस्तावना या भूमिका (introduction)
2. मध्यभाग अथवा विषय विस्तार या प्रसार  (middle section)
3. उपसंहार (Epilogue)


(1) प्रस्तावना या भूमिका  (Introduction) :- 
 प्रस्तावना में निबंध की भूमिका रहती है । इसके अंतर्गत निबंध की विषय – वास्तु का परिचय दिया जाता है । यह निबंध का प्रराम्भिक भाग होता है । वास्तव में प्रस्तावना पाठक को निबन्ध की मुख्य विषय – वस्तु से जोड़ती है । अर्थात् इस शीर्षक के अंतर्गत लेखक यह स्पष्ट करता है कि वह विषय के सम्बन्ध में क्या कहना चाहता है और वह किस प्रकार से एवं किस ढंग से उसे कहेगा । (Essay plays a role in the introduction.  Under this, the subject matter of the essay is introduced.  This is the initial part of the essay.  In fact, the introduction connects the reader with the main subject matter of the essay.  That is, under this heading, the author clarifies what he wants to say about the subject and how and in what manner he will say it.)

(2) मध्यभाग अथवा विषय विस्तार या प्रसार (Middle Section) -  यह निबंध का मध्य भाग होता है । इसमे निबन्ध का कलेवर या शरीर रहता है । यह निबन्ध का सबसे विस्तृत तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग भी होता है । क्योकि निबंध की प्रभाव – क्षमता इसी भाग की सफल एवं सोद्देश्यपूर्ण प्रस्तुति पर निर्भर होती है । इसमे निबंध लेखक को विषय के सम्बन्ध में अपना पूरा ज्ञान संक्षिप्त, संयत तथा मनोरंजक शैली में उपस्थित करना होता है । (This is the middle part of the essay.  The body or body of the essay resides in it.  It is also the most detailed and most important part of the essay.  Because the effectiveness of the essay depends on the successful and purposeful presentation of this part.  In this, the essay writer has to present his complete knowledge regarding the subject in a concise, moderate and entertaining style.)

(3) उपसंहार (Epilogue) -  यह निबन्ध का अंतिम भाग होता है इसमे निबंध की समस्त पूर्व विवेचित सामग्री का सार या निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है । इसमे निबंध के आरम्भ से अन्त तक का संक्षिप्त विवरण दिया जाता है । इस स्थल पर निबंध का सिंहावलोकन भी किया जाता है । (This is the last part of the essay, in which the summary or conclusion of all the previously discussed content of the essay is presented.  In this, a brief description is given from the beginning to the end of the essay.  An overview of the essay is also done at this site.)


 निबंध के दो विशेष गुण होते हैं (Essay has two special qualities) :- 

व्यक्तित्व की अभिव्‍यक्ति,
सहभागिता का आत्मीय या अनौपचारिक स्तर। (personality expression,
 Intimate or informal level of involvement.)

हिन्दी साहित्य कोश के अनुसार, “लेखक बिना किसी संकोच के अपने पाठकों को अपने जीवन-अनुभव सुनाता है और उन्हें आत्मीयता के साथ उनमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। उसकी यह घनिष्ठता जितनी सच्ची और सघन होगी, उसका निबंध पाठकों पर उतना ही सीधा और तीव्र असर करेगा। इसी आत्मीयता के फलस्वरूप निबंध-लेखक पाठकों को अपने पांडित्य से अभिभूत नहीं करना चाहता।” (According to Hindi Sahitya Kosh, “The author narrates his life experiences to his readers without any hesitation and invites them to participate in them with intimacy.  The more true and intense this closeness of his, the more direct and intense his essay will be on the readers.  As a result of this affinity, the essayist does not want to overwhelm the readers with his erudition.)

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है, “निबंध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-संबंध-सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती हैं। एक ही बात को लेकर किसी का मन किसी सम्बन्ध-सूत्र पर दौड़ता है, किसी का किसी पर। इसी का नाम है एक ही बात को भिन्न दृष्टियों से देखना। व्यक्तिगत विशेषता का मूल आधार यही है।” (Acharya Ramchandra Shukla has written, “According to the tendency of his mind, the essayist wanders freely here and there on the branches of Sutras.  This is his personal characteristic of meaning.  The zigzag lines of meaning-relation-formulas only specify the path of vision of different authors.  Regarding the same thing, someone's mind runs on some relation-formula, someone's on another.  This is called seeing the same thing from different points of view.  This is the very basis of individuality.")

इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में किन्हीं ऐसे ठोस रचना-नियमों और तत्वों का निर्देश नहीं दिया जा सकता जिनका पालन करना निबंधकार के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि निबंध एक ऐसी कलाकृति है जिसके नियम लेखक द्वारा ही आविष्कृत होते हैं। निबंध में सहज, सरल और आडम्बरहीन ढंग से व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है। (This means that no such concrete composition rules and elements can be instructed in the essay, which are necessary for the essayist to follow.  It is said that essay is a work of art whose rules are invented by the writer himself.  In the essay, there is expression of personality in a simple, simple and pompous manner.)

 

 

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