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भारत की तेल भंडारण क्षमता और भारत में तेल रिफाइनरी (स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस, इटरनेट साइट्स)

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At - 2024-01-20 23:31:41

भारत की तेल भंडारण क्षमता

(स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस, इटरनेट साइट्स)

 

  • भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड एक भारतीय कंपनी है जो देश के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।
  • ISPRL तेल उद्योग विकास बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करती है।

 

संस्थापक:- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय

स्थापना:- 2005

इतनी जगहों पर मौजूद है:- 4 (2020)

मुख्यालय:- OIDB Bhawan, सेक्टर ७३, नोएडा, उत्तर प्रदेश, भारत

 

  • 1990 में खाड़ी युद्ध ने तेल की कीमतों में तेज वृद्धि और भारत के आयात में भारी वृद्धि का कारण बना।
  • बाद के 1991 के भारतीय आर्थिक संकट के दौरान , विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन हफ्तों के आयात के लायक था, जबकि सरकार अपने वित्तीय दायित्वों पर चूक करने के करीब आ गई। भारत अर्थव्यवस्था को उदार बनाने वाली  नीतियों के माध्यम से संकट को हल करने में सक्षम था।
  • हालांकि, तेल की कीमतों में अस्थिरता से भारत प्रभावित होता रहा। 1998 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रशासन ने तेल बाजार के प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक समाधान के रूप में पेट्रोलियम भंडार के निर्माण का प्रस्ताव रखा।

 

बीते कुछ समय मे COVID- 19 महामारी के तहत 2020 ई. में  तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई, जो भारत को भविष्य के लिये तेल भंडार बढ़ाने का अवसर जैसा था।

 

प्रमुख बिंदु

  • कुछ दिनों पहले ‘वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट’ (West Texas Intermediate- WTI) क्रूड ऑयल की कीमत नकारात्मक रही जो इस ओर संकेत करता है कि देशों के पास तेल को भंडारित करने के लिये पर्याप्त भंडारन क्षमता की कमी है।
  • WTI तेल की कीमतों में 40.32 डॉलर प्रति बैरल तक गिरावट देखी गई।

 

 

भारत के लिये तेल की कम कीमत का महत्त्व:-

भारत दुनिया में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता तथा तेल का तीसरा बड़ा आयातक है (वर्ष 2018), अत: भारत तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से बहुत अधिक प्रभावित होता है।

 

रणनीतिक/सामरिक पेट्रोलियम भंडार:-

सामरिक पेट्रोलियम भंडार कच्चे तेल से संबंधित किसी भी संकट जैसे प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या अन्य आपदाओं के दौरान आपूर्ति में व्यवधान से निपटने के लिये कच्चे तेल के विशाल भंडार होते हैं।

 

भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार:

  • भारत के सामरिक कच्चे तेल के भंडार वर्तमान में विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलौर (कर्नाटक) और पाडुर (कर्नाटक) में स्थित हैं। इनके अलावा सरकार ने चंदीखोल (ओडिशा) और पादुर (कर्नाटक) में दो अतिरिक्त सुविधाएँ स्थापित करने की घोषणा की थी।

 

SPR की भंडारण क्षमता:-

  • वर्तमान में भारत आपातकालीन आवश्यकताओं के लिये तेल भंडारण करता है। वर्तमान में ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार कार्यक्रम’ (Strategic Petroleum Reserves programme- SPRP) के तहत भारत 87 दिनों तक आवश्यकता पूर्ति की भंडारण क्षमता रखता है। 
  • इसमें से लगभग 65 दिनों की आवश्यकता पूर्ति को तेल प्रसंस्करण इकाइयाँ जबकि शेष भंडार ‘भारतीय सामरिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड’ (Indian Strategic Petroleum Reserves Limited- ISPRL) द्वारा बनाए गए भूमिगत भंडार के रूप में अनुरक्षित किया जाता है। भूमिगत भंडार की वर्तमान क्षमता 10 दिनों के तेल आयात के बराबर है।

 

भारत में तेल भंडारण से जुड़ी समस्याएँ:-

पारदर्शिता का अभाव:-

  • तेल भंडार में पारदर्शिता के अभाव के कारण तेल को समय पर उपयोग करने में अनेक अड़चनें हैं जिससे SPR तेल की कीमत सामान्यत: बहुत अधिक रहती है। 
  • वास्तव में निजी- रिफाइनरियों के पास पर्याप्त ‘सामरिक पेट्रोल भंडार’ होते हैं परंतु इनके द्वारा यह भंडारण किस रूप में (क्रूड या रिफाइंड) तथा कहाँ किया जाता है, इस संबंध में पूरी तरह पारदर्शिता का अभाव रहता है।

 

  • दूसरा मुद्दा रिफाइनरी की धारिता से संबंधित है। भारत में SPR तेल रिफाइनरियों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के नियंत्रण में है। हालाँकि स्टॉक रखने वाली अधिकांश रिफाइनरी सार्वजनिक रूप से स्वामित्व वाली कंपनियां हैं।

 

समाधान की दिशा में कदम:-

 *पारदर्शिता में वृद्धि:-*

  • भारत के अन्य रणनीतिक भंडार (यथा विदेशी मुद्रा भंडार) जिसमें स्पष्ट प्रक्रियाओं, प्रोटोकॉल तथा आँकड़ों को जारी करने की आवश्यकता होती है, उसी SPR भंडारण के लिये भी स्पष्ट सार्वजनिक तथा संसदीय जाँच की आवश्यकता होनी चाहिये। SPR संबंधी सूचना के बारे में गोपनीयता के बजाय इसे समय पर और विश्वसनीय रूप से उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिये।

 

*गतिशीलता में वृद्धि:-*

  • SPR पर अलग-अलग इकाइयों का नियंत्रण होने के कारण, इन तेल भंडारों को समय पर उपयोग करने में बाधा उत्पन्न होती है इससे तेल की गतिशीलता प्रक्रिया काफी अस्पष्टता तथा जटिल बन जाती है। अत: SPR के संबंध में विभिन्न इकाइयों की भूमिका और प्रक्रिया में स्पष्टता होनी चाहिये।

 

 *विविधता में वृद्धि:-*

  • आपात स्थितियों में जोखिमों को कम करने के लिये भारत को अपने SPR धारिता में विविधता लानी चाहिये। यह विविधता भौगोलिक स्थान (तेल घरेलू या विदेश में भंडारण), भंडारण स्थान (भूमिगत या अधितल) और उत्पाद के स्वरूप (क्रूड ऑयल या परिष्कृत ऑयल) पर आधारित हो सकती है। 

 

*विदेश में भंडारण:-*

  • भारत तेल भंडारण के लिये ओमान जैसे देशों में सामरिक तेल भंडार स्थापित कर सकता है, ओमान की विशेष अवस्थिति के कारण होर्मुज़ जलडमरूमध्य की संभावित अड़चनों से भी बचा जा सकता है। हालाँकि इन स्थानों के साथ भू-राजनीतिक जोखिमों हो सकते है, अत: न्यूनतम तेल भंडार देश से बाहर स्थापित करने चाहिये। 

 

*स्वामित्त्व में विविधता:-*

 

  • स्वामित्त्व में विविधता भी एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह सार्वजनिक ISPRL के माध्यम से या निजी तेल कंपनियों के माध्यम से अथवा विदेशी कंपनियों के स्वामित्त्व में हो सकता है।

 

 

अत: ऊर्जा भारत की वृद्धि की दृष्टि से हमेशा महत्त्वपूर्ण रहा है तथा भविष्य में प्रभावित करता रहेगा। तेल की कीमत में भारी गिरावट केंद्र सरकार के लिये अपने SPR भंडार को बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में अवसर प्रस्तुत करती है। इसलिए भारत को वर्तमान समय में तेल की कीमतों का लाभ उठाना चाहिये तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में तेल खरीदने और अपनी ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार’ (Strategic Petroleum Reserves- SPR) को भरने के सुअवसर के रूप में देखना चाहिये। 

 

*स्थान* :-  क्षमता

1 *विशाखापत्तनम , आंध्र प्रदेश*:- 1.33 मिलियन टन

2 *मैंगलोर , कर्नाटक*:-  1.5 मिलियन टन

3 *पादुर,कर्नाटक*  :- 2.5 मिलियन टन

[2.5 मिलियन टन (निर्माणाधीन)]

4 *चंडीखोल , ओडिशा*:- 4.5 मिलियन टन (निर्माणाधीन)

 

*भारत की रिफाइनरियां*

रिफाइनरी का नाम एवं राज्य का नाम

 

 1.    डिगबोई , असम

2      . नुमालीगढ़,        असम

3.     गुवाहाटी,         असम

4      . बंगाईगाँव       ,  असम

5      . बरौनी,           बिहार

6      . कोलकाता,         पश्चिम बंगाल

7      . हल्दिया,          पश्चिम बंगाल

8.     पारद्वीप ,   ओड़िशा

9      . विशाखापट्टनम,         आंध्र प्रदेश

10.    तातिपका ,  आंध्र प्रदेश

11.    चेन्नई  ,    तमिलनाडु

12.    नागपट्टनम,          तमिलनाडु

13     . कोची,            केरल

14. मंगलौर,   कर्नाटक

15     .  ट्राम्बे,            महाराष्ट्र

16     . कायली ,    गुजरात

17.    जामनगर       ,    गुजरात

18     .जामनगर,          गुजरात

19.    वादीनार,          गुजरात

20     . मथुरा,          उत्तर प्रदेश

21     .भटिंडा,          पंजाब

22     .पानीपत ,      पंजाब

23.    बीना,       मध्य प्रदेश

 

 *भारत में पेट्रोलियम संसाधन :-*

  • अन्य संसाधन की तरह  भारत में पेट्रोलियम संसाधन भी पाए जाते हैं। 👉🏻पेट्रोलियम में 70% तेल एवं 30% प्राकृतिक गैस होती है। 
  • पेट्रोलियम टर्शियरी युग की अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
  • पेट्रोलियम, हाइड्रोकार्बन यौगिकों का मिश्रण है जिसमें 70% तेल एवं 30% प्राकृतिक गैस होती है।
  • भारत में पेट्रोलियम उत्पादन में प्रमुख योगदान अपतटीय क्षेत्रों का है। 👉🏻देश में अपतटीय क्षेत्रों का पेट्रोलियम उत्पादन में कुल योगदान 66% है।
  • 1867 में असम के माकूम नामक स्थान पर एसिया का प्रथम तेल का कुआँ खोदा गया। ये मात्र एक प्रयोग स्तर पर था।
  • 1889 में असम के ही डिग्बोई में पेट्रोलियम निष्कर्षण को उद्योग के स्तर पर शुरू किया गया था।
  • स्वतंत्रता के उपरान्त देश में पेट्रोलियम के सम्भावित भण्डारों की खोज करने के लिए ONGC (Oil & Natural Gas Corporation Ltd) की स्थापना 1956 में की गयी। इसी क्रम में 1959 में OIL (Oil India Ltd) की भी स्थापना की गयी।देश में ONGC की सफलता को देखते हुए। अन्य देशों में तेल भण्डारों का पता लगाने के लिए OVL (ONGC Videsh Ltd) की स्थापना 1965 में की गयी। वर्तमान में OVL की कुल 17 देशों में 21 परियोजनाएँ चल रही हैं।

 

भारत में प्रमुख तेल क्षेत्र :-

 *भारत में कुल 4 प्रमुख तेल क्षेत्र है-*

 

 

1. *असम या ब्रह्मपुत्र घाटी तेल क्षेत्र*

इसके अंतर्गत कुल 4 तेल क्षेत्र है.:- डिग्बोई, नहरकाटिया, हुगरीजन मोरेन, सूरमा घाटी।

 

2. *गुजरात तट तेल क्षेत्र*

गुजरात में 5 तेल क्षेत्र हैं :- खम्भात, अंकलेश्वर, कल्लोल, सानन्द नदी घाटी, लुनेज क्षेत्र।

 

3. *पश्चिमी अपतटीय तेल क्षेत्र*

देश का सबसे समृद्ध तेल क्षेत्र :-  इसके अंतर्गत 2 तेल क्षेत्र आते है। बसीन एवं मुम्बई हाई तेल क्षेत्र।

मुम्बई हाई की खोज 1976 में की गयी थी ।  देश के कुल तेल उत्पादन में से 60% यहीं होता है।

 

4. *पूर्वी अपतटीय तेल क्षेत्र*

देश का सबसे नवीन तेल क्षेत्र। गोदावरी-कृष्णा नदी डेल्टा के मुहाने पर रावा अपतटीय क्षेत्र।

 

 

भारत में तेल परिष्करण :-

  • प्राकृतिक रूप से प्राप्त पेट्रोलियम अशुद्ध होता है जिसे रिफाइनरी में शुद्ध करके पेट्रोलियम उत्पादो(पेट्रोल, डीजल, जेट ईधन, पेट्रोलियम जेली आदि) प्राप्त किया जाते है।
  • भारत देश की पहली रिफाइनरी 1893 में डिग्बोई में स्थापित की गयी थी ।
  • असम राज्य में सर्वाधिक 4 रिफाइनरी है।
  • भारत में वर्तमान में  23 तेल रिफाइनरियां है।

 जिनका विवरण निम्नलिखित है-

सार्वजनिक क्षेत्र :-

  • इसके अंतर्गत कुल 18 रिफाइनरी आती है।
  • 18 रिफाइनरी में से 9 का स्वामित्व IOC(Indian Oil Corporation) के पास है। IOC ही देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी कम्पनी है।
  • शेष 9 रिफाइनरियों का स्वामित्व HPCL एवं BPCL के पास है।

 

निजी क्षेत्र

  • इसके अंतर्गत 3 रिफाइनरी आती है।
  • दो रिफाइनरियों का स्वामित्व RIL(Reliance Industries Ltd) के पास है। दोनों ही गुजरात के जामनगर में स्थित है।
  • एक रिफाइनरी का स्वामित्व Essar Oil ltd के पास है।

 

संयुक्त उपक्रम के तहत

  • इसके अंतर्गत 2 रिफाइनरी आती है।
  • इसके अंतर्गत आनी वाली रिफाइनरियां, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के संयुक्त स्वामित्व के अंतर्गत होती है।
  • देश की 23वीं रिफाइनरी 2016 में ओड़िशा के पारद्वीप में स्थापित की गयी। यहीं देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी भी है।

 

 (स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस, इटरनेट साइट्स)

 

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