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बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक (Major Port Authorities Bill), 2020

By - Gurumantra Civil Class

At - 2024-01-13 18:24:32

बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक (Major Port Authorities Bill), 2020

(स्त्रोत - पी.आई.बी रिपोर्ट)

हाल ही में संसद ने प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक (Major Port Authorities Bill), 2020 पारित किया है। इस बिल में देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्रदान करने और बोर्ड स्थापित कर उनके शासन का व्यवसायीकरण करने का प्रयास किया गया है।

यह विधेयक प्रमुख पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम (Major Port Trusts Act), 1963 की जगह लेगा। भारत के 12 प्रमुख बंदरगाह दीनदयाल (तत्कालीन कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मर्मुगाओ, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वी. ओ. चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) हैं।

बंदरगाहों से जुड़े बुनियादी ढांचे के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार एवं वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 का लक्ष्य निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवर रवैये का समावेश करना है। यह विधेयक तेज और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों एवं और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभान्वित करता है। इस विधेयक का उद्देश्य सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन के मॉडल का पुनर्विन्यास लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल के रूप में करना है।इस विधेयक से प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मददमिलेगी।यह विधेयक निर्णयलेने की प्रक्रिया में पूर्ण स्वायत्तता लाकरऔर मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने के लिए सशक्त बनायेगा।

 

◆◆◆◆ प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

यह विधेयक प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि इसमें ओवरलैपिंग करने वाले और पुराने पड़ चुके अनुच्छेदों को समाप्त करके अनुच्छेदों की कुल संख्या 134 से घटाकर 76 कर दी गई है।

नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा 17 से 19 सदस्यों की जगह 11 से 13 सदस्य ही होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों से लैस एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने की प्रक्रिया और रणनीतिक योजना निर्माण को मजबूतीदेगा। प्रमुख बंदरगाह की अवस्थिति वाले राज्य सरकार, रेल मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, सीमा शुल्क, राजस्व विभाग के प्रतिनिधियों के अलावा सरकार की तरफ से एक नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्राधिकरण के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को इस बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्राधिकरण को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं, जोकि सार्वजनिक – निजी साझेदारी (पीपीपी) वाली परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित बंदरगाह से जुड़ी अन्य सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का पैमाना तय करने के अधिकार दिए गए हैं।

एक न्यायिक निर्णय करने वाला (एडजुडीकेटरी) बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी से संबंधित रियायत पाने वालों के बीच उत्पन्न विवादों को देखने, संकट में पड़ी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने और संकट में पड़ीऐसी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के तरीके सुझाने और ऐसी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय सुझाने और बंदरगाहों/ बंदरगाहों के भीतर काम करने वालेनिजी ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।

बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते उपजी आपातकालीन स्थिति से निपटने के मामले में पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति जरुरीथी।

प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, किसी भी किस्म के विकास या बुनियादी ढांचे के संदर्भ में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करने का अधिकारी होगा।

बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा सीएसआर और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित प्रावधान पेश किए गए हैं।

प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन से जुड़े लाभ समेत वेतन एवं भत्ते और सेवा  शर्तों को सुरक्षित करने के प्रावधान किए गए हैं।

कोई भी व्यक्ति जो विधेयक के किसी प्रावधान या नियमों का उल्लंघन करता है, उसे एक लाख रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

 

◆◆◆ लक्ष्य :- 

 

●● विकेंद्रीकरण: निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करना और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में व्यावसायिकता को बढ़ावा देना।

 

●● व्यापार और वाणिज्य: बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे के विस्तार को बढ़ावा देना और व्यापार तथा वाणिज्य को सुविधाजनक बनाना।

 

●● निर्णय लेना: यह सभी हितधारकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से परियोजना निष्पादन क्षमता को बेहतर करते हुए तेज़ तथा पारदर्शी निर्णय प्रदान करता है।

 

●● रीओरिएंटिंग मॉडल: वैश्विक अभ्यास के अनुरूप केंद्रीय बंदरगाहों में शासन मॉडल को भू-स्वामी बंदरगाह मॉडल हेतु पुन: पेश करना।

 

●●● इसके महत्त्व:- 

◆◆◆  लेवल-प्लेयिंग फील्ड:

यह विधेयक न केवल प्रमुख और निजी बंदरगाहों के बीच बल्कि प्रमुख बंदरगाह टर्मिनलों और पीपीपी टर्मिनलों के बीच एक लेवल-प्लेयिंग फील्ड (Level-Playing Field) बनाने जा रहा है।

प्रमुख बंदरगाहों के अंदर पीपीपी टर्मिनल प्लेयरों को भी TAMP से टैरिफ अनुमोदन लेना पड़ा है। यह विधेयक इस निकाय से अनुमोदन लेना समाप्त कर देता है।

इसके कारण आने वाले वर्षों में पीपीपी के अंतर्गत बड़े बंदरगाहों में निवेश किये जाने की उम्मीद है।

 

◆◆◆ आत्मनिर्भर भारत अभियान के   अनुरूप:- 

यह कदम निश्चित रूप से देश के आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) के दृष्टिकोण के अनुरूप है और यह भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कुल कार्गो आवाजाही का 70% और मूल्य का 90% बंदरगाहों के माध्यम से होता है।

 

हालांकि इस विधेयक की आलोचना की जा रही है कि इसका उद्देश्य बंदरगाहों का निजीकरण और भूमि उपयोग पर राज्यों की शक्तियों को कम करना है।

 

हालांकि इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा।

 

वर्तमान में भारत में बंदरगाह - 

  बंदरगाह  -  राज्य

1. कांडला/दीनदयाल - गुजरात

2. पारादीप -  ओडिशा

3. जवाहर लाल नेहरू(न्हावाशेवा बंदरगाह ) - महाराष्ट्र

4. मुंबई पोर्ट - महाराष्ट्र

5. विशाखापट्टनम - आंध्र प्रदेश

6. चेन्नई - तमिलनाडु

7. वी.ओ. चिदंबरम - तमिलनाडु

8. कामराजार पोर्ट - तमिलनाडु

9. तूतीकोरन - तमिलनाडु

10. न्यू मंगलौर - कर्नाटक

11. कोच्चि पोर्ट - केरल

12. मुरगांव पोर्ट गोवा

13. कोलकाता(डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी) - पश्चिम बंगाल

14. हल्दिया - पश्चिम बंगाल( सहायक बंदरगाह, कोलकाता)

(नोट :- केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्‍ट्र में दहानू के पास वधावन में एक नया प्रमुख बन्‍दरगाह स्‍थापित करने की सिद्धांत रूप में स्‍वीकृति प्रदान कर दी है।)

 

 

व्यापार करने के लिए नदी या समुद्र के तटों पर कई प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे जलयानों का आवागमन आसानी से किया जा सके, इन्हें ही बंदरगाह (Harbour or Port) कहा जाता है | भारत में 13 बड़े तथा 200 से अधिक छोटे बंदरगाह (Port) है |

 

स्त्रोत - पी.आई.बी रिपोर्ट

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