By - Gurumantra Civil Class
At - 2024-01-10 21:44:44
भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021
(स्त्रोत - पी.आई.बी रिपोर्ट, द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस)
यह विधेयक 2021-22 के केंद्रीय बजट के दौरान घोषित अपने परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम (asset monetisation programme) के तहत छोटे हवाई अड्डों के निजीकरण की सरकार की योजना का समर्थन करता है।
लोकसभा एवं राज्यसभा ने भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (AERA) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित किया।
मार्च 2021 में इसे प्रथम बार पेश किया गया था तथा बाद में इसे परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर एक संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया, जिसने इसमें बिना किसी परिवर्तन के मंज़ूरी दे दी। यह विधेयक, भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 में संशोधन प्रस्तावित करता है।
राज्यसभा में पारित होने के साथ भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई। पहले 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हुआ था।
बिल 'प्रमुख हवाईअड्डे' की परिभाषा में संशोधन करके 'हवाई अड्डों के समूह' के शुल्क निर्धारण की अनुमति देता है। बिल सिंगल एयरपोर्ट के लिए टैरिफ के संबंध में कानून के प्रावधानों में संशोधन करता है। इस बिल के जरिये सरकार का इरादा न केवल हवाई यात्रियों की संख्या को तेजी से बढ़ाने का है बल्कि मुनाफा कमाने वाले हवाई अड्डों को विकसित करना है। साथ ही जो हवाई अड्डे अभी नुकसान में उनकी संख्या घटाने के लिए वहां यात्रियों की संख्या बढ़ाना है। इन हवाई अड्डों से एएआई द्वारा अर्जित राजस्व का उपयोग टियर-II और टियर-III शहरों में हवाई अड्डों के विकास के लिए किया जाएगा। यह छोटे हवाई अड्डों के विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा। सरकार के इस दृष्टिकोण से पीपीपी मॉडल के जरिये अधिक हवाई अड्डों के विकास में मदद मिलेगी। इसके परिणाम अपेक्षाकृत दूरस्थ और दूर-दराज के क्षेत्रों में हवाई संपर्क का विस्तार करने में सफलता मिलेगी।
बिल की प्रमुख विशेषता (विस्तारपूर्वक)
हालांकि इसमें एक चिंता का विषय भी है कि 'हवाई अड्डों के समूह' की परिभाषा के तहत अर्हता प्राप्त करने के लिये कौन से हवाई अड्डों को एक साथ जोड़ा जाएगा, यह तय करने के मानदंड पर बिल में स्पष्टता का अभाव है , चाहे वह 35 लाख से अधिक यात्री यातायात हो या कुछ अन्य कारक हों।
●●●● भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) -
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) का गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा 1 अप्रैल, 1995 को किया गया था, तब से यह प्राधिकरण ग्राउंड (Ground) और एयरस्पेस (Airspace) दोनों में नागरिक उड्डयन अवसंरचना के निर्माण, उन्नयन,रखरखाव और प्रबंधन का कार्य कर रहा है।
वर्तमान में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) 137 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है, जिसमें 23 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 10 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 23 घरेलू सिविल एन्क्लेव शामिल हैं।
●●●● भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण
प्रारंभ में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा हवाई अड्डों का संचालन और प्रबंधन का कार्य किया जाता था। कुछ समय बाद नागरिक उड्डयन नीति में बदलाव किया गया क्योंकि कुछ निजी अभिकर्त्ताओं को भी हवाई अड्डे के संचालन का कार्य दिया गया था। इसके पीछे निहित उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतरीन सेवाएँ प्रदान करना था।
आमतौर पर हवाई अड्डों पर एकाधिकार का जोखिम होता है क्योंकि पर शहरों में प्रायः एक नागरिक हवाई अड्डा होता है जो उस क्षेत्र में सभी वैमानिकी सेवाओं को नियंत्रित करता है।
निजी हवाई अड्डा संचालक अपने एकाधिकार का दुरुपयोग न कर सके यह सुनिश्चित करने के लिये विमानपत्तन क्षेत्र में एक स्वतंत्र शुल्क नियामक की आवश्यकता महसूस की गई थी।
भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 (AERA अधिनियम) पारित किया गया जिसने AERA को एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया।
यह इस बात को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया गया था कि देश को एक ऐसे स्वतंत्र नियामक की आवश्यकता है जिसके पास पारदर्शी नियम हों और जो सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रख सके।
AERA प्रमुख हवाई अड्डों पर वैमानिकी सेवाओं (हवाई यातायात प्रबंधन, विमान की लैंडिंग एवं पार्किंग, ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएँ) के लिये टैरिफ और अन्य शुल्क (विकास शुल्क तथा यात्री सेवा शुल्क) नियंत्रित करता है।
◆◆◆◆ भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2018
भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2018 भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 में संशोधन करता है। इसी अधिनियम के तहत भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (AERA) की स्थापना की गई थी। AERA प्रतिवर्ष 15 लाख से अधिक यात्रियों के आवागमन की क्षमता वाले नागरिक हवाई अड्डे पर प्रदान की जाने वाली वैमानिक सेवाओं के लिये टैरिफ तथा अन्य शुल्कों को विनियमित करता है। यह इन हवाई अड्डों में सेवाओं के मानक प्रदर्शन पर भी नज़र रखता है।
विधेयक के अनुसार प्रमुख हवाई अड्डों की परिभाषा:-
प्रतिवर्ष 15 लाख से अधिक यात्रियों के आवागमन की क्षमता वाले नागरिक हवाई अड्डों या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किये गए किसी भी अन्य हवाई अड्डे को यह अधिनियम प्रमुख हवाई अड्डे के रूप में परिभाषित करता है। यह विधेयक प्रमुख हवाई अड्डों के लिये तय की गई यात्रियों की सीमा को 15 लाख प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 35 लाख प्रतिवर्ष करता है।
●●● AERA द्वारा टैरिफ निर्धारण:-
इस अधिनियम के तहत AERA (i) प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर विभिन्न हवाई अड्डों पर वैमानिक सेवाओं के लिये टैरिफ
(ii) प्रमुख हवाई अड्डों का विकास शुल्क
(iii) यात्री सेवा शुल्क को निर्धारित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
(यह अंतरिम अवधि में आवश्यक होने पर टैरिफ में संशोधन सहित टैरिफ निर्धारित करने तथा टैरिफ से संबंधित किसी अन्य कार्य को करने के लिये आवश्यक जानकारी की मांग भी कर सकता है। )
इस विधेयक के अनुसार AERA -
(i) टैरिफ
(ii) टैरिफ संरचना
(iii) कुछ मामलों में विकास शुल्क का निर्धारण नहीं करेगा।
इसमें ऐसे मामले को शामिल किया जाएगा जिसमें टैरिफ की रकम नीलामी के दस्तावेज़ का हिस्सा थी और जिसके आधार पर हवाई अड्डे के संचालन का फैसला लिया गया था। नीलामी के दस्तावेज़ में ऐसे टैरिफ को शामिल करने से पहले AERA से परामर्श लिया जाएगा, जो अधिसूचना के रूप में होगी।
●●● उड़ान योजना
‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) योजना को वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के रूप में लॉन्च किया गया था। उड़ान योजना देश में क्षेत्रीय विमानन बाज़ार विकसित करने की दिशा में एक नवोन्मेषी कदम है। इस योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती तथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक उड़ानों की शुरुआत करना है, ताकि छोटे शहरों में भी आम आदमी के लिये सस्ती उड़ानें शुरू की जा सकें। यह योजना मौजूदा हवाई-पट्टी और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के गैर-सेवारत और कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना करती है। यह योजना 10 वर्षों की अवधि के लिये संचालित की जाएगी। कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डे वे हैं, जहाँ एक दिन में एक से अधिक उड़ान नहीं भरी जाती, जबकि गैर-सेवारत हवाई अड्डे वे हैं जहाँ से कोई भी उड़ान नहीं भारी जाती है। चयनित एयरलाइन्स को केंद्र, राज्य सरकारों और हवाई अड्डा संचालकों द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, ताकि वे गैर-सेवारत और कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डों पर सस्ती उड़ानें उपलब्ध करा सकें।
अब तक उड़ान योजना के तहत 5 हेलीपोर्ट्स और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित 325 मार्गों एवं 56 हवाई अड्डों का परिचालन सुनिश्चित किया गया है।
◆◆◆ उड़ान 1.0
इस चरण के तहत 5 एयरलाइन कंपनियों को 70 हवाई अड्डों (36 नए बनाए गए परिचालन हवाई अड्डों सहित) के लिये 128 उड़ान मार्ग प्रदान किये गए।
◆◆◆ उड़ान 2.0
वर्ष 2018 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 73 ऐसे हवाई अड्डों की घोषणा की, जहाँ कोई सेवा नहीं प्रदान की गई थी या उनके द्वारा की गई सेवा बहुत कम थी।
उड़ान योजना के दूसरे चरण के तहत पहली बार हेलीपैड भी योजना से जोड़े गए थे।
◆◆◆ उड़ान 3.0
पर्यटन मंत्रालय के समन्वय से उड़ान 3.0 के तहत पर्यटन मार्गों का समावेश। जलीय हवाई-अड्डे को जोड़ने के लिये जल विमान का समावेश। उड़ान के दायरे में पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई मार्गों को लाना।
◆◆◆ उड़ान 4.0
वर्ष 2020 में देश के दूरस्थ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) के चौथे संस्करण के तहत 78 नए मार्गों के लिये मंज़ूरी दी गई थी। लक्षद्वीप के मिनिकॉय, कवरत्ती और अगत्ती द्वीपों को उड़ान 4.0 के तहत नए मार्गों से जोड़ने की योजना बनाई गई है।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ (भारत@75) की शुरुआत के अवसर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने उड़ान 4.1 योजना के तहत लगभग 392 मार्गों को प्रस्तावित किया है।
◆◆◆ उड़ान 4.1
उड़ान 4.1 मुख्यतः छोटे हवाई अड्डों, विशेष तौर पर हेलीकॉप्टर और सी-प्लेन मार्गों को जोड़ने पर केंद्रित है। सागरमाला विमान सेवा के तहत कुछ नए मार्ग प्रस्तावित किये गए हैं।सागरमाला सी-प्लेन सेवा संभावित एयरलाइन ऑपरेटरों के साथ पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे अक्तूबर 2020 में शुरू किया गया था।
(स्त्रोत - पी.आई.बी रिपोर्ट, द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस)
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