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भारत में निवास करने वाली जनजातियाँ

By - Admin

At - 2024-01-25 09:35:40

ारत में निवास करने वाली जनजातियां, भाग.- 1

जनजातियाँ एक ऐसा मानव समूह है जोकि अपने आदिम रीति-रिवाज के तरीकों से एक निश्चित भू-भाग पर निवास करते हैं।भारतीय जनजातियों को भू-भाग के अनुसार उत्तर, पूर्वोत्तर, मध्य तथा दक्षिणीय क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है।

  • जनजातियों में धार्मिक पुरूष(पुजारी) को पाहन कहा जाता है।
  • अफ्रीका महाद्वीप को जनजाति महाद्वीप भी कहा जाता है।
  • भारत देश में सर्वाधिक जनजाति जनसंख्या वाला राज्य मध्य प्रदेश है उसके बाद महाराष्ट्र का स्थान है।
  • भारत देश में सर्वाधिक जनजाति प्रतिशत जनसंख्या वाला राज्य मिजोरम (94%) है।
  • भारत देश में सर्वाधिक जनजाति प्रतिशत जनसंख्या वाला केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप (94%) है।
  • भारत देश में न्यूनतम जनजाति जनसंख्या वाला राज्य गोवा तथा इसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान आता है।
  • पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं चंडीगढ़ में कोई भी जनजातियां निवास नहीं करती हैं।
  • किसी भी जनजाति समुदाय को अधिसूचित करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है।

 

देश जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़े तीन जन जातीय समूह-

 

1. गोण्ड

2. भील

3. संथाल

 

पशुपालक जनजातियां

  • टोडा जनजाति तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ी पर निवास करती है तथा भैंस पालन करती है।
  • गद्दी एवं बकरवाल जनजाति हिमाचल प्रदेश में निवास करती है तथा भेड़-बकरी पालन करती है।
  • चकमा जनजाति के लोग बांग्लादेश के मूल निवासी है तथा ये पूर्वोत्तर भारत में प्रमुखतः त्रिपुरा में शरणार्थी के रूप में प्रवेश कर गए है।

 

भारत की प्रमुख जनजातियाँ

 

राज्य - जनजाति का नाम - प्रमुख बाते

1.जम्मू कश्मीर गुज्जर - एक मुस्लिम जनजाति है।

 

2.  हिमाचल प्रदेश - गद्दी, बकरवाल, जद्दा,  -  ढ़ालों पर निवास करती हैं, गद्दी तथा बकरवाल जनजाति बकरी तथा भेड़ों को पालती है तथा उन्हीं के उत्पादों पर आश्रित हैं।

 

 

3. उत्तराखण्ड - थारू, बुक्सा, भोटिया, जौनसारी - थारू जनजाति के लोग दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते हैं।

 

4. उत्तर प्रदेश - कोई विशेष जनजातियाँ निवास नहीं करती हैं,        हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में उत्तराखण्ड की ही जनजातियां निवास करती है।

 

5. राजस्थान - मीणा, गरसिया, कालबेलिया       - कालबेलिया एक सपेरा जनजाती सुमादाय है।

 

6. मध्य प्रदेश - कोल, भील, लम्बाड़ी, बैगा, सहरिया - बैगा जनजाति पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहती है।

 

7. छत्तीसगढ़ - अगरिया, भारिया - कुछ मात्रा में मध्य प्रदेश की जनजातियाँ भी यहां निवास करती हैं।

 

8. झारखण्ड - संथाल, मुण्डा, गोंड, बिरहोर, हो -         स्वतंत्रता आंदोलन में बिरसा मुण्डा आंदोलन एक प्रमुख आंदोलन था। मुण्ड़ा जनजाति का प्रमुख त्यौहार सरहुल, बसंत आगमन पर मनाया जाता है। मुण्ड़ा जनजाति मृतकों की हड्डियाँ मिट्टी के बर्तन में रखी जाती है। इसे जंगटोपा अनुष्ठान कहा जाता है। गोड़ जनजाति जंगलों को जलाकर, दहिया खेती करती है। संथाल जनजाति की लेखन लिपी ओलाचिकी कही जाती है। हो जनजाति के लोग वर्षा कराने हेतु आग जलाकर धुआँ करते हैं।

 

9. पश्चिम बंगाल - भूमिज, लेप्चा  

 

10. महाराष्ट्र - कोली, बंजारा  

 

11. गुजरात -  कोली, बंजारा, मुरिया  

 

12.  आंध्र प्रदेश -  चेंचू, लंबाड़ा, बहुरूपिया, कोचा      

 

13. तमिलनाडु - टोड़ा, मन्नार इरूला - टोड़ो जनजाति जोकि नीलगिरी की पहाड़ियों पर रहती है। टोड़ो जनजाति में कन्या वध की प्रथा के चलते, लिंग अनुपात में कमी आ गयी है। जिस कारण यहां बहुपति विवाह प्रचलित है।

 

14. केरल - कोटा, नायर, कडार  

 

15. ओड़िशा - जुआंग, जटायु, उरांव   

 

16. सिक्किम - लेप्चा      

 

17. मेघालय - गारो, खासी, जयंतिया 

 

18. असम - बोड़ो, गारो, खासी, जयंतिया 

 

19. अरूणाचल प्रदेश - डफला, मिरी, अबोर, मिश्मी 

 

20. नागालैण्ड - नागा, कोन्यक.- नागा जनजाति में विवाह समारोह में नर मुण्ड माला को पहनकर शौर्य का प्रदर्शन करा जाता है।

 

21. मणीपुर - कूकी      

 

22. त्रिपुरा - लुशाई, रियांग 

 

23. दादर और नगर हवेली - ढ़ोढिया

अतः जनजाति (tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य के बाहर हैं। जनजाति वास्‍तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग हुआ है और इनके लिए विशेष प्रावधान लागू किये गए हैं।

इनके संवैधानिक स्थिति :-

  • भारत में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित कई प्रावधान हैं।
  • मुख्‍यतः इन्‍हें दो भागों में बांटा जा सकता है- सुरक्षा तथा विकास।
  • अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा संबंधी प्रावधान संविधान के अनुच्‍छेद 15(4), 16(4), 19(5), 23, 29, 46, 164, 330, 332, 334, 335 व 338, 339(1), 371(क) (ख) व (ग), पांचवी सूची व छठी सूची में निहित हैं।
  • अनुसूचित जनजातियों के विकास से संबंधित प्रावधान मुख्‍य रूप से अनुच्‍छेद 275(1) प्रथम उपबंध तथा 339 (2) में निहित हैं।
  • इस समय भारत में अनुसूचित जनजातियों की संख्‍या 700 से ऊपर है।

 

किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के आधार हैं-

1. आदिम लक्षण,

2. विशिष्‍ट संस्‍कृति,

3. भौगोलिक पृथक्‍करण,

4. समाज के एक बड़े भाग से संपर्क में संकोच,

5. पिछडापन।

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