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एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी का पतन

By - Gurumantra Civil Class

At - 2025-11-13 23:08:46

एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी का पतन

2015 में, केरल के एक युवा इंजीनियर ने भारत के तनावग्रस्त किशोरों के लिए गणित और विज्ञान को ऑनलाइन और मज़ेदार बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई।

• लेकिन शिक्षा और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, बायजूस ने एक विशाल बिक्री मशीन जोड़ दी—बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और फुटबॉल लीजेंड लियोनेल मेसी इसके ब्रांड एंबेसडर बने, और इसकी टीम हर किसी को कोर्स बेचने के लिए सक्रिय हो गई।

• सस्ते और अति-उत्साही वेंचर कैपिटल की मदद से, बायजू रवींद्रन ने महामारी के दौरान लगभग 3 अरब डॉलर खर्च कर कंपनी को अधिग्रहण की मशीन बना दिया।

• लेकिन नतीजा बेहद निराशाजनक रहा। 15 महीने पहले कंपनी का मूल्यांकन 22 अरब डॉलर था, जो अब 3 अरब डॉलर से भी कम हो चुका है।

• इसके प्रमुख निवेशकों Prosus NV, Peak XV और Chan Zuckerberg Initiative ने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।

• 1.2 अरब डॉलर का बकाया कर्ज न चुकाने के कारण अमेरिकी वित्तीय इकाई पर कर्जदाताओं ने कब्जा कर लिया।

• कंपनी गंभीर तरलता संकट से जूझ रही है, बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी हो रही है, और पूर्व अरबपति संस्थापक को वेतन देने के लिए अपने घर बेचने पड़े हैं।

बायजूस के पास क्या विकल्प हैं?

1. Epic (अमेरिका स्थित डिजिटल रीडिंग प्लेटफॉर्म) को बेचकर फंड जुटाना।

2. भारत में टेस्ट-प्रेप बिजनेस को बेचने या इसे आईपीओ के ज़रिए सार्वजनिक करने का विचा

A. शिक्षा प्रणाली और कोचिंग सेंटरों की भूमिका

1. प्रतियोगिता पर ज़ोर: भारतीय शिक्षा प्रणाली में प्रतियोगिता अत्यधिक महत्वपूर्ण है, खासकर बोर्ड परीक्षाओं और प्रवेश परीक्षाओं के लिए।

2. साथियों का दबाव: छात्र एक-दूसरे से तुलना करते हैं, जिससे मानसिक तनाव और आत्म-संदेह बढ़ता है।

3. रटने पर ज़्यादा ध्यान: पाठ्यक्रम में रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच की कमी के कारण विद्यार्थी सिर्फ याद करने पर निर्भर हो जाते हैं।

B. कैसे कोचिंग सेंटर भारतीय शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा रहे हैं?

1. अत्यधिक मार्केटिंग: कोचिंग संस्थान छात्रों और माता-पिता को यह विश्वास दिलाते हैं कि बिना कोचिंग के सफलता असंभव है।

2. अंधी प्रतियोगिता: इनका उद्देश्य सिर्फ परीक्षा पास कराना होता है, न कि वास्तविक ज्ञान देना।

3. स्कूलों की गुणवत्ता गिर रही है: शिक्षक पढ़ाने में कम रुचि लेते हैं क्योंकि अधिकतर छात्र कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं।

4. सिर्फ परीक्षा पास करने पर ध्यान: ज्ञान अर्जन के बजाय सिर्फ परीक्षा पास करने की प्रवृत्ति बढ़ गई है।

5. शिक्षा को व्यापार बना दिया गया है: गरीब परिवारों के बच्चे इन कोचिंग संस्थानों में नहीं जा पाते, जिससे असमानता बढ़ रही है।

C. कोचिंग सेंटरों की बढ़ती संख्या के कारण -

1. शिक्षा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और मुनाफाखोरी बढ़ रही है।

2. कोचिंग सेंटरों को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है।

3. सरकारी कॉलेजों में शिक्षा का स्तर गिरा है।

4. हर साल छात्रों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन प्रतिष्ठित संस्थानों में सीटें सीमित हैं।

5. कुछ कॉलेज ही अपने छात्रों को कोचिंग जॉइन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

6. कई अवैध कोचिंग सेंटर बिना पंजीकरण और टैक्स चुकाए संचालित हो रहे हैं।

7. छात्रों और माता-पिता में परीक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

8. ऑनलाइन शिक्षा और लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से विशेषज्ञ आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं।

D. भारत में कोचिंग सेंटरों को नियंत्रित करने की आवश्यकता -

1. समस्याएं:

1. छात्र आत्महत्याओं में वृद्धि: 2023 में सिर्फ कोटा में 28 छात्रों ने आत्महत्या कर ली।

2. मंहगी फीस और कोई वापसी विकल्प नहीं: कोचिंग सेंटर फीस वापस नहीं करते।

3. भ्रामक दावे: सफलता दर को लेकर झूठे प्रचार किए जाते हैं।

4. इंजीनियर-डॉक्टर फैक्ट्री: विद्यार्थी अन्य जीवन कौशल से वंचित रहते हैं।

5. नियामक निगरानी की कमी: इन पर कोई कानूनी नियंत्रण नहीं है।

6. ग्रामीण-शहरी विभाजन: ग्रामीण छात्रों को बराबरी के अवसर नहीं मिलते।

7. सरकार की जिम्मेदारी: शिक्षा मूलभूत अधिकार है, सरकार को इसे नियंत्रित करना चाहिए।

E. कोचिंग सेंटरों के लिए नए दिशानिर्देश

1. 16 साल से कम उम्र के छात्रों का प्रवेश वर्जित।

2. भ्रामक वादे और झूठे दावे नहीं किए जा सकते।

3. छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी।

4. पारिवारिक जुड़ाव और को-करिकुलर गतिविधियों को बढ़ावा देना।

5. सिर्फ स्नातक योग्यताधारी शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं।

6. वेबसाइट पर सभी जानकारी अनिवार्य रूप से प्रकाशित करनी होगी।

7. छात्रों को कोर्स छोड़ने पर फीस वापसी की सुविधा मिलेगी।

8. शिकायत दर्ज करने और 30 दिन में निपटाने की व्यवस्था।

9. गलत कार्यों पर 1 लाख तक का जुर्माना और पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

10. राज्य सरकार को कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण और निगरानी सुनिश्चित करनी होगी।

F. कोचिंग सेंटरों की समस्या के समाधान के सुझाव

1. राज्य सरकार द्वारा उचित नियमन: 10+2 स्तर की कोचिंग को राज्य सरकारें नियंत्रित करें।

2. जन जागरूकता: माता-पिता और छात्रों को कोचिंग के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए।

3. माता-पिता को संवेदनशील बनाना: बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने से बचें।

4. शिक्षा प्रणाली में सुधार: रटने की संस्कृति खत्म कर व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देना।

5. नशा मुक्ति कार्यक्रम: कोटा और दिल्ली जैसे कोचिंग हब में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएं।

निष्कर्ष: शिक्षा व्यापार का साधन नहीं होनी चाहिए। सरकार को कोचिंग सेंटरों पर नियंत्रण कर शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना होगा, ताकि हर छात्र को समान अवसर मिल सके।

 

 

 

 

 

 

 

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