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कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं कोविड-19

By - Gurumantra Civil Class

At - 2024-01-17 22:21:11

कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं COVID-19

• हाल ही में COVID-19 के परीक्षण हेतु इटली और भारत के कुछ छात्रों द्वारा संयुक्त रूप से एक एप विकसित किया गया है। 

• इस एप द्वारा लोगों की आवाज (Voice) के आधार पर COVID-19  का परीक्षण किया जा सकता है। 

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) पर आधारित इस एप द्वारा COVID-19 से संक्रमित 300 व्यक्तियों का परीक्षण किया गया जिसमें इस तकनीक की सटीकता 98% पाई गयी। 

• गौरतलब है कि भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science-IISc), बैंगलोर की एक टीम भी खाँसी और श्वसन ध्वनियों के विश्लेषण के आधार पर COVID-19 हेतु परीक्षण पर कार्य कर रही है।

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एप की कार्यप्रणाली: -

• एप पर माइक्रोफोन से बात करने से लोगों के आवाज की आवृत्ति और शोर को कई मापदंडों में एप द्वारा वर्गीकृत कर दिया जाता है।

• एक सामान्य व्यक्ति तथा COVID-19 से संक्रमित व्यक्ति के आवाज की आवृत्ति और शोर की तुलना कर यह निर्धारित किया जाता है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं।

लाभ: -

• यह एप COVID-19 से संक्रमित लोगों की पहचान करने हेतु प्राथमिक स्तर के परीक्षण को शीघ्रता से करने में सक्षम है।

• प्राथमिक स्तर के परीक्षण में सकारात्मक परिणाम वाले व्यक्ति को ही अगले चरण के परीक्षण हेतु प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। 

• एप की सहायता से किया जाने वाला परीक्षण निःशुल्क होगा।

• सरकार को COVID-19 से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों (Hotspot Regions) की पहचान करने में मदद मिलेगी। 

चुनौतियाँ: -

• हाल के दिनों में देश में COVID-19 से संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है ऐसे में यह अति आवश्यक है कि शीघ्र ही अधिक-से-अधिक संक्रमित लोगों की पहचान की जाए। परंतु इस एप के बारे में लोगों को बताना/प्रचार-प्रसार करना तथा एप की कार्यप्रणाली से अवगत कराना एक बड़ी चुनौती होगी।  

कृत्रिम बुद्धिमत्ता:-

• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है। इसके जनक जॉन मैकार्थी हैं।

• यह मशीनों की सोचने, समझने, सीखने, समस्या हल करने और निर्णय लेने जैसी संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता को सूचित करता है।

• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर शोध की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। 

• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है कृत्रिम तरीके से विकसित बौद्धिक क्षमता।

• इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर संचालित करने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क कार्य करता है।

• AI पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive), सीमित स्मृति (Limited Memory), मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory) एवं आत्म-चेतन (Self Conscious) जैसी अवधारणाओं पर कार्य करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता विशेष

• इस वक्त ऐसी कई सारी मशीनें हैं जो कि कई कार्य करती हैं लेकिन हम उन मशीनों को एक होशियार मशीन नहीं कह सकते हैं, क्योंकि उन मशीनों द्वारा सिर्फ उतना ही कार्य किया जा रहा है। जितना की उस मशीन को करने के निर्देश दिए गए है ।ये मशीनें ना तो कोई निर्णय खुद ले सकती है, ना तो लोगों की पहचान कर सकती है।

 

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली मशीनें (Artificial Intelligence examples) :-

• अगर कोई मशीन किसी इंसान को पहचान लें, इंसानों के साथ शतरंज खेले तो उन मशीनों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनें कहा जाएगा।  वहीं आप लोगों ने मानव रहित गाड़ी या मानव रहित विमान के बारे में सुना ही होगा। इस तकनीक की मदद से ही आज के जमाने में मानव रहित गाड़ी या विमान चलना मुमकिन हो पाया है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संस्थापक :-

• जॉन मैकार्थी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संस्थापक थे। उन्होंने अपने साथी मार्विन मिन्स्की, हर्बर्ट साइमन और एलेन नेवेल के साथ मिलकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े अनुसंधान और इसकी संस्थापना की थी। 

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द की खोज साल 1955 में जॉन मैकार्थी द्वारा ही की गई थी।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इतिहास :-

• साल 1956 में डार्टमाउथ कॉलेज में आयोजित एक कार्यशाला के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द का जिक्र किया गया था।

• साल 1956 में डार्टमाउथ कॉलेज में जॉन मैकार्थी ने ही इस विषय पर कार्यशाला का आयोजन भी किया था।

• जिसमें इस विषय पर चर्चा की गई थी। उस वक्त इस विषय पर शुरू किया गया कार्य वैज्ञानिकों ने अभी तक जारी रखा है और जॉन मैकार्थी की सोच को एक नया मुकाम दिया है। 

• साल 1955 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और संज्ञानात्मक वैज्ञानिक जॉन ने जब इस पर कार्य शुरू किया था।

• उस वक्त तकनीक में इतना विकास नहीं हुआ था, लेकिन अब उन्नत एल्गोरिदम, कंप्यूटिंग पावर, स्टोरेज में सुधार के कारण आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लोकप्रिय और कामयाब बनाया जा सका है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का महत्व और इस्तेमाल :-

• आज के दौर में स्वास्थ्य देखभाल, विनिर्माण, खुदरा, खेल, स्पेस स्टेशन, बैंकिंग जैसे हर क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की जरूरत है। 

• इन सभी कार्य क्षेत्रों में इस तरह की मशीनों की काफी मांग है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से मशीनों को इस प्रकार बनाया जाता है कि वो भी बुद्धिमान बन सके और इंसानों की उनके कार्य में मदद कर सके।

• जिस कार्य को इंसानों द्वारा करने में कई महीनें लग जाते हैं वो इन मशीनों के जरिए जल्द किया जा सकता है। 

• जहां पर इंसान का दिमाग एक जगह आकर सोचना बंद कर देता है वहीं कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ ऐसा नहीं है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली मशीनें बिना थके आसानी से कार्य करती हैं।

चिकित्सा अनुसंधान में इसका महत्व :-

• चिकित्सा अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से कई सारे कार्य आसानी से किए जा रहे हैं।

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता एप्लीकेशन की मदद से एक्सरे रीडिंग करना, आप को समय-समय पर आपके कार्य के बारे में याद दिलाना और अनुसंधान में आपकी मदद करने जैसे कार्य किए जा रहे हैं।

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल से तो ऐसी मशीन बना ली गई है जो कि इंसानों का ऑपरेशन भी कर सकती हैं।

• किसी व्यक्ति को कौन सी बीमारी है इसका पता भी करने में इस तरह की मशीन काफी मददगार हैं।

खेलों में भी होता है इस्तेमाल:- 

• चिकित्सा के क्षेत्र की तरह खेलों में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। 

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग खेल खेलने की छवियों को कैप्चर करने, क्षेत्र की स्थिति और रणनीति को  अनुकूलित करने में किया जाता है।

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से खेल को बेहतर ढंग से खेलने के बारे में रिपोर्टों के साथ-साथ कोच को खेल की रणनीति के बारे में भी सुझाव भी दिए जाते हैं।

 

विनिर्माण :-

• खेल की तरह विनिर्माण में भी इसका खूब प्रयोग किया जाता है और इसके जरिए विनिर्माण में कैसे सुधार ला सके और विनिर्माण की प्रक्रिया में सहायता की जाती है।

• इसके अलावा अंतरिक्ष से जुडी खोजों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बुद्धिमान रोबोट :-

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से अब तो ऐसे रोबोट तैयार किए जा रहे हैं। जो कि आम इंसानों की तरह ही बात करते हैं। 

• इतना ही नहीं इंसान जिस तरह के चेहरे के भाव प्रकट करते हैं। उसी तरह से ये रोबोट में अपने चेहरे के भाव प्रकट किया करते हैं।

• वहीं साल 2016 में बनाया गया सोफिया नामक रोबोट कृत्रिम बुद्धिमत्ता का बेहतरीन उदाहरण है।

• ये रोबोट लोगों से बातचीत करता है और कई सारे इंटरव्यू भी दे चुका है।

• वहीं आप लोग भी रोजाना कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं।

• आईओएस, एंड्रॉइड, और विंडोज मोबाइल इसी तकनीक का उदाहरण है। 

• इसी तकनीक की मदद से आप अपनी आवाज के जरिए किसी भी चीज को नेट में बिना टाइप किए सर्च कर सकते हैं।

• इसके अलावा यू-ट्यूब पर संगीत और मूवी की सिफारिश आना, स्मार्ट होम डिवाइसेज, सुरक्षा निगरानी और स्मार्ट कार, इसी तकनीक की देन हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रकार (Types of Artificial Intelligence) –

• कृत्रिम बुद्धिमत्ता मुख्य प्रकार के चार तरह की होती है जो कि इस प्रकार है:- प्रतिक्रियाशील मशीनें, सीमित मेमोरी, मस्तिष्क का सिद्धांत और आत्म जागरूकता ।

1. प्रतिक्रियाशील मशीनें (REACTIVE MACHINES)–

प्रतिक्रियाशील मशीनों को  जो कार्य दिए जाते हैं, वो उन कर्तव्यों को ही करने में सक्षम होती हैं। दिए हुए कार्य के अलावा ये मशीन अन्य किसी भी कार्य को नहीं कर सकती हैं। वहीं दीप ब्लू, आईबीएम के शतरंज खेलने वाले सुपरकंप्यूटर या फिर गेम खेलने वाले रोबोट प्रतिक्रियाशील मशीनों के बेहतरीन उदाहरण हैं। ये सब मशीनें केवल वर्तमान परिदृश्यों पर ही प्रतिक्रिया कर सकती हैं। वहीं ये मशीन एक स्थिति के बार-बार आने पर केवल एक जैसा ही व्यवहार करती हैं।

 

2. सीमित मेमोरी (Limited Memory)-

सीमित मेमोरी प्री- प्रोग्राम नॉलेज और ऑब्जरवेशन करके अपना कार्य करती हैं। वहीं सीमित मेमोरी के उदाहरण के रूप में आप ‘स्वायत्त (ऑटोमेटिक) कार’ को ले सकते हैं। इस तरह की कारों में जो निर्देश डाले जाते हैं। ये उनके आधार पर फैसला लेती हैं। वहीं निर्देशों के अलावा ये कारें आस पास की चीजों व अन्य गाड़ियों को देखकर ये फैसला लेती है।

3. मस्तिष्क का सिद्धांत (THEORY OF MIND)– 

इस प्रकार की मशीनें आने वाले समय में काफी महत्वपूर्ण होगी। इस तरह की मशीनों को इस तरह तैयार किया जाएगा ताकि वो दुनिया में लोगों की भावनाएं, व्यवहार सब समझ सकें।

 

4. आत्म जागरूकता (SELF-AWARENESS)- 

अभी तक वैज्ञानिकों ने इस तरह की कोई भी मशीन तैयार नहीं की है। वहीं जब इस तरह की मशीन बना ली जाएगी। तो वो कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उन्नत प्रकार की मशीनों में से एक होगी। इस प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनें अपने अंदर की भावनाओं की पहचान करने में सक्षम होगी। जिनके अंदर आत्म जागरूकता मौजूद होगी और वो भी इंसानों की तरह भावनाएं समझ सकेंगी।

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नकारात्मक और सकरात्मक प्रभाव :-

1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नकारात्मक प्रभाव :-

क. नौकरियों में आएगी गिरावट (Artificial Intelligence effects on jobs)- 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता को जो सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव हम लोगों की जिंदगी पर पड़ेगा, वो नौकरियों से जुड़ा हुआ है। अगर इस तरह की मशीन बनाई जाती है, जो कि हम लोगों की तरह सोचने की क्षमता रखती है और बिना थके कोई भी कार्य कर सकती है तो ऐसी स्थिति में लोगों की जगह इन्हीं मशीनों को कार्य करने के लिए रखा जाएगा। ऐसा करने से ये मशीन हम लोगों की जगह ले लेंगी।

ख. मशीनों पर रहेंगे ज्यादा निर्भर (dependence on Artificial Intelligence)- 

इस बात में को संदेह नहीं है कि नई-नई तकनीकों के आने से हम लोग के अंदर आलस आ गया है।  हम लोग इन मशीनों पर ज्यादा निर्भर रहने लगे हैं। वहीं सोच और समझ रखने वाली मशीनों के आने से हम लोग सोचने और समझने में भी ज्यादा जोर नहीं दे पाएंगे। काम को आसानी और जल्द करने के इरादे से इन मशीनों पर ही निर्भर रहेंगे। जिससे की हम लोगों की सोचने की क्षमता पर असर पड़ेगा।

ग. अगली पीढ़ी के लिए नुकसानदेह (Artificial Intelligence negative effects)- 

आनी वाली नई पीढ़ी पर इस तकनीक का बेहद ही बुरा प्रभाव पड़गा । जहां हम लोग अपना स्कूल कार्य करने के लिए किताबों का इस्तेमाल किया करते थे। वहीं आजकल के छात्र बुनियादी सवालों के लिए भी कंप्यूटर पर निर्भर रहते हैं और बिना मेहनत किए आसानी से किसी भी चीज का जवाब हासिल कर लेते हैं। ठीक इसी तरह आने वाले समय की पीढ़ी को और नई तकनीके मिल जाएगी। जिससे की वो अपने दिमाग का इस्तेमाल ही नहीं कर सकें।

घ.  मशीनों का महंगा होना - 

इंसानों जैसी मशीनों को तैयार करना एक महंगा सौदा साबित होता है। इतना ही नहीं इन मशीनों को बनाने के अलावा इनकी देखभाल करना भी काफी महंगा साबित होता है।

 

2. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सकरात्मक प्रभाव  –

क. सही फैसला लेने की क्षमता (role of Artificial Intelligence in decision making)-

मशीनों या रोबोट के अंदर इंसानों जैसा कृत्रिम बुद्धिमत्ता तो डाला जा सकता है लेकिन इन मशीनों के अंदर भावनाएं डाला अभी अंसभव है। वहीं मशीनों के अंदर किसी भी तरह की भावना ना होने से ये मशीन बिना किसी भावना से अपना काम करेंगी और ऐसी स्थिति में उस कार्य में कोई गलती होने की संभावनाएं ना के समान होंगी।

ख. बिना थके काम करने में मददगार :-

ये मशीन बिना थके कोई भी कार्य लगातार कर सकती हैं। ऐसे में किसी भी कार्य को जल्द से जल्द किया जा सकता है। इतना ही नहीं हम इंसान जहां केवल 8 घंटे तक ही अपना कार्य कर सकते हैं। वहीं ये मशीन दिन से लेकर रात तक बिना रूके कार्य कर सकेंगी।

ग. खतरनाक कार्य में इस्तेमाल :-

ऐसे कई सारे कार्य हैं जिनको इंसान करना तो चाहते हैं लेकिन उन कामों को करने में आने वाले जोखिम के कारण वो उन कामों को कर नहीं सकते हैं। वहीं इस तरह की मशीनों के आने से ऐसे सभी कार्यों को किया जा सकता है, जो कि हम लोगों के लिए खतरनाक होते हैं। इसके अलावा ऐसी कई जगह हैं जहां पर हम लोगों नहीं जा सकते हैं लेकिन ये मशीन आसानी से उन जगह पर जा सकती हैं।

कृत्रिम बुद्धि और मशीन लर्निंग के बीच का अंतर (difference between Artificial Intelligence and machine learning ) :-

• मशीन लर्निंग कृत्रिम बुद्धि का ही एक भाग है ।

• वहीं इन दोनों के अंतर की बात की जाए तो ये दोनों चीजे एक दूसरे से काफी अलग हैं।

• मशीन लर्निंग के जरिए कंप्यूटर को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वो डेटा के आधार पर फैसला ले सके। 

• ऐसा करने के लिए एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया जाता है। एल्गोरिदम के जरिए कंप्यूटर आपके द्वारा डाले गए डेटा को समझता है फिर उसके आधार पर फैसला लेता है।

• उदाहरण के लिए अगर आप यू-ट्यूब में कोई वीडियो देखते हैं तो उस वीडियों जैसी अन्य वीडियो के लिए आपके पास यू-ट्यूब से सुझाव आते हैं।

• दरअसल ये सुझाव आपके द्वारा सर्च किए गए वीडियो के आधार पर लिए जाते हैं।

• वैज्ञानिक आर्थर शमूएल ने ही साल 1956 में मशीन लर्निंग का भविष्य देखा था। उन्होंने ही मशीन लर्निंग को लेकर काफी अनुसंधान किए थे।  इसलिए उनको इस तकनीक का जनक कहा जाए तो गलत नहीं होगा। वही में उनके मुताबिक मशीन लर्निंग की जो परिभाषा दी थी वो इस प्रकार थी। उनके अनुसार, मशीन लर्निंग के जरिए कंप्यूटर को इस तरह से बनाना की वो अपने आप ही निर्णय ले सके, बिना किसी प्रोग्राम के आवश्यकता के।

वहीं कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बात की जाए तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अंतर्गत ही मशीन लर्निंग आती है।  सभी मशीन लर्निंग को कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तरह गिना जा सकता है लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मशीन लर्निंग की तरह नहीं गिना जा सकता है। यानी सभी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मशीन लर्निंग कहा जा सकता है लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मशीन लर्निंग नहीं कहा जा सकता है।

 

                  

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