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शंघाई सहयोगी संगठन और भारत, 2020

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At - 2024-01-25 09:37:12

शंघाई सहयोगी संगठन

        

 

  • SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।रूसी और चीनी SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
  • यह चार्टर एक संवैधानिक दस्तावेज है जो संगठन के लक्ष्यों व सिद्धांतों आदि के साथ इसकी संरचना तथा प्रमुख गतिविधियों को रेखांकित करता है।
  • इसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। इसका मुख्यालय बीजिंग में है।
  • चीन, कजकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और तजकिस्तान ने 1996 मेॱ "शंघाई V" नाम से सॱगठन की स्थापना शघाई मे की ।
  • सन् 2001 मेॱ वापस शिघाई मे आयोजित शिखर सम्मेलन मे उज्बेकिस्तान को शामिल कर "शंघाई VI" मे बदल दिया गया जो अब शंघाई सहयोग संगठन ( Shanghai Cooperation Organisation) या SCO नाम से जाना जाता है।
  • SCO चार्टर पर वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह वर्ष 2003 में लागू हआ।
  • अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राज़ी हुए थे, तब इसे शंघाई-फ़ाइव के नाम से जाना जाता था।
  • हालांकि वास्तविक रूप से एससीओ का जन्म 15 जून 2001 को हुआ। तब चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कज़ाकस्तान, किर्ग़िस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना की और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया।
  • इस संगठन का उद्देश्‍य नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार-निवेश बढ़ाना था। एक तरह से एससीओ (SCO) अमरीकी प्रभुत्‍व वाले नाटो का रूस और चीन की ओर से जवाब था।
  • हालांकि, 1996 में जब शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर इसकी शुरुआत हुई थी तब सिर्फ़ ये ही उद्देश्य था कि मध्य एशिया के नए आज़ाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर कैसे तनाव रोका जाए और धीरे-धीरे किस तरह से उन सीमाओं को सुधारा जाए और उनका निर्धारण किया जाए।
  • ये मक़सद सिर्फ़ तीन साल में ही हासिल कर लिया गया। इसकी वजह से ही इसे काफ़ी प्रभावी संगठन माना जाता है। अपने उद्देश्य पूरे करने के बाद उज़्बेकिस्तान को संगठन में जोड़ा गया और 2001 से एक नए संस्थान की तरह से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन का गठन हुआ।
  • साल 2001 में नए संगठन के उद्देश्य बदले गए। अब इसका अहम मक़सद ऊर्जा पूर्ति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना और आतंकवाद से लड़ना बन गया है। ये दो मुद्दे आज तक बने हुए हैं। शिखर वार्ता में इन पर लगातार बातचीत होती है।
  • पहले इसमें छह देश थे- किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान। 2017 में इसमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हो गए। अब आठ देश इसके स्थायी सदस्य हैं।
  • इन आठ देशों की लोकेशन की वजह से इस संगठन को यूरेशियाई देशों का संगठन कहा जाता है। यूरेशिया मतलब यूरोप प्लस एशिया। रूस एशिया और यूरोप, दोनों का हिस्सा है। पांच देश- किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान मध्य एशिया में हैं।चीन पूर्वी एशिया में है. भारत और पाकिस्तान, दोनों दक्षिण एशिया में हैं।
  • शंघाई सहयोग संगठन के चार ऑर्ब्जवर देश हैं। ये चारों हैं- अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया। ये देश सदस्य देशों के आस-पास हैं और इस पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और लिंकेज के हिसाब से अहम हैं।
  • इनके अलावा SCO में छह डायलॉग पार्टनर भी हैं- अज़रबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका।

SCO के मार्गदर्शक सिद्धांत

  • पारस्परिक विश्वास, आपसी लाभ, समानता, आपसी परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के लिए सम्मान तथा सामान्य विकास की अवधारणा पर आधारित आंतरिक नीति।
  • गुटनिरपेक्षता, किसी तीसरे देश को लक्ष्य न करना तथा उदार नीति पर आधारित बाह्य नीति।

संगठन का लक्ष्य:-

  • सदस्य देशों के बीच आपसी भरोसा मजबूत करना।
  • जो सदस्य पड़ोसी हैं, उनके बीच पड़ोसी की भावना बढ़ाना।
  • राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, रिसर्च, तकनीक और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में असरदार सहयोग।
  • शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण से जुड़े मुद्दों में भी आपसी सहयोग बढ़ाना।
  • शांति, सुरक्षा और स्थिरता का माहौल बनाए रखने के लिए पारस्परिक हिस्सेदारी।
  • लोकतांत्रिक, निष्पक्ष और तर्कसंगत राजनीतिक और आर्थिक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने की कोशिश।

SCO की संरचना

1. राष्ट्र प्रमुखों की परिषद: यह SCO का सर्वोच्च निकाय है जो अन्य राष्ट्रों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपनी आंतरिक गतिविधियों के माध्यम से तथा बातचीत कर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करती है।

2. शासन प्रमुखों की परिषद: SCO के अंतर्गत आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर वार्ता कर निर्णय लेती है तथा संगठन के बजट को मंज़ूरी देती है।

3. विदेश मंत्रियों की परिषद: यह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विचार करती है।

4. क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS.): आतंकवाद, अलगाववाद, पृथकतावाद, उग्रवाद तथा चरमपंथ से निपटने के मामले देखता है।

5. शंघाई सहयोग संगठन सचिवालय: यह सूचनात्मक, विश्लेषणात्मक तथा संगठनात्मक सहायता प्रदान करने हेतु बीजिंग में अवस्थित है।

 

SCO की प्रमुख गतिविधियाँ

 

  • प्रारंभ में SCO ने मध्य एशिया में आतंकवाद, अलगाववाद तथा उग्रवाद को रोकने हेतु परस्पर अंतर-क्षेत्रीय प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया।
  • वर्ष 2006 में, वैश्विक वित्त पोषण के स्रोत के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी को शामिल करने हेतु संगठन की कार्यसूची को विस्तार दिया गया।
  • वर्ष 2008 में SCO ने अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के लिए सक्रिय रूप से भाग लिया।
  • लगभग इसी समय SCO ने विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया।
  • इससे पहले वर्ष 2003 में अपने भौगोलिक क्षेत्र के भीतर मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना हेतु SCO सदस्य देशों ने बहुपक्षीय व्यापार एवं आर्थिक सहयोग हेतु 20 वर्ष के कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए।

 

SCO की विशेषताएँ

  • SCO में वैश्विक जनसंख्या का 40%, वैश्विक GDP का लगभग 20% तथा विश्व के कुल भू-भाग का 22% शामिल है।
  • अपने भौगोलिक महत्त्व के चलते SCO एशियाई क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है।
  • अपनी इस विशेषता के कारण SCO मध्य एशिया को नियंत्रित करने तथा क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को सीमित करने में सक्षम है।
  • SCO को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के समकक्ष के रूप में भी जाना जाता है।

 

SCO के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

  • SCO की सुरक्षा चुनौतियों में आतंकवाद, उग्रवाद तथा अलगाववाद का मुकाबला करना; मादक पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी को रोकना एवं अवैध आप्रवासन की रोकथाम करना इत्यादि शामिल हैं।
  • भौगोलिक रूप से निकटता होते हुए भी संगठन के सदस्यों के इतिहास, पृष्ठभूमि, भाषा, राष्ट्रीय हितों एवं सरकार, संपन्नता व संस्कृति के रूप में समृद्ध विविधता SCO के निर्णयों लेने की प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बनाते है।

 

एससीओ और भारत

  • भारत साल 2017 में एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना। पहले (2005 से) उसे पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त था। 2017 में एससीओ की 17वीं शिखर बैठक में इस संगठन के विस्तार की प्रक्रिया के एक महत्वपूर्ण चरण के तहत भारत और पाकिस्तान को सदस्य देश का दर्जा दिया गया। इसके साथ ही इसके सदस्यों की संख्या आठ हो गयी।
  • वर्तमान में एससीओ के आठ सदस्य चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं।इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं।
  • छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं. एससीओ का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है।

 

 भारत को क्या फ़ायदा

  • शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में चीन, रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत का कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। एससीओ को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है।
  • भारतीय हितों की जो चुनौतियां हैं, चाहे वो आतंकवाद हों, ऊर्जा की आपूर्ति या प्रवासियों का मुद्दा हो, ये मुद्दे भारत और एससीओ दोनों के लिए अहम हैं और इन चुनौतियों के समाधान की कोशिश हो रही है।
  • ऐसे में भारत के जुड़ने से एससीओ और भारत दोनों को परस्पर फ़ायदा होगा।
  • भारत का पड़ोसी देशों के साथ जैसे चीन और पाकिस्तान अच्छे संबंध नहीं है। जिनकी वजह से कई आर्थिक योजनाएं  पूरी नहीं हो पा रही है। अतः यहां भारत को अंतरराष्ट्रीय राजनीति की समर्थन प्राप्त होने की संभावना है, क्योंकि पाकिस्तान और चीन भी इनके स्थाई सदस्य है।
  • मध्य एशिया के देश जो प्राकृतिक गैस-तेल भंडार के मामले में धनी हैं, उनके साथ संबंधों को विस्तार देने में SCO भारत के लिए एक अच्छा ज़रिया बन सकता सकता है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और रूस व यूरोप तक व्यापार के ज़मीनी मार्ग खोलने के लिये इस मंच का इस्तेमाल करना चाहिये।
  • भारत के लिये SCO की सदस्यता क्षेत्रीय एकीकरण, सीमाओं के पार संपर्क एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान कर सकती है।
  • SCO की क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) के माध्यम से भारत गुप्त सूचनाएँ साझा करने, कानून प्रवर्तन और सर्वोत्तम प्रथाओं अथवा प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में कार्य कर अपनी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं में सुधार कर सकता है।
  • SCO के माध्यम से भारत मादक पदार्थों की तस्करी तथा छोटे हथियारों के प्रसार पर भी रोक लगाने का प्रयास कर सकता है।
  • आतंकवाद एवं कट्टरतावाद की सामान्य चुनौतियों को लेकर साझा प्रयास किये जा सकते हैं।
  • लंबे समय से अटकी हुई तापी (तुर्कमेनिस्तान-अफग़ानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन जैसी परियोजनाओं पर काम शुरू करने में तथा IPI (ईरान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन को SCO के माध्यम से सहायता मिल सकती है।
  • भारत तथा मध्य एशिया के बीच व्यापार में आने वाली प्रमुख बाधाओं को दूर करने के लिये SCO सहायता कर सकता है, क्योंकि यह मध्य एशिया के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में कार्य करता है।
  • SCO के माध्यम से सदस्य देशों के साथ अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार करते हुए भारत को मध्य एशियाई देशों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, बैंकिंग, वित्तीय तथा फार्मा उद्योगों हेतु एक विशाल बाज़ार मिल सकता है।
  • सावधानी से इस मंच का इस्तेमाल करते हुए भारत अपने इस विस्तारित पड़ोस (मध्य एशिया) में सक्रिय भूमिका निभा सकता है तथा साथ ही यूरेशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने का प्रयास भी कर सकता है।
  • सबसे बड़ी बात यह कि SCO भारत को अपने पुराने तथा विश्वसनीय मित्र रूस के साथ अपने चीन और पाकिस्तान जैसे चिर प्रतिद्वंद्वियों के साथ जुड़ने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है।

 

2019 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में SCO समिट हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया था।इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हुए थे, लेकिन दोनों की मुलाकात नहीं हुई थी।

 

पाकिस्तान भी SCO का सदस्य है और वह भारत की राह में दुश्वारियाँ तथा कठिनाइयों का कारण लगातार बनता है। ऐसे में भारत की स्वयं को मुखर तौर पर पेश करने की क्षमता प्रभावित होगी। इसके अलावा चीन एवं रूस के SCO के सह-संस्थापक होने और इसमें इन देशों की प्रभावी भूमिका होने की वज़ह से भारत को अपनी स्थिति मज़बूत बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही SCO का रुख परंपरागत रूप से पश्चिम विरोधी है, जिसकी वज़ह से भारत को पश्चिम देशों के साथ अपनी बढ़ती साझेदारी में संतुलन कायम करना होगा।

 

शंघाई सहयोगी संगठन सम्मेलन , 2020

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 नवंबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन के प्रमुखों के 20वें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह कहा कि, भारत के शंघाई सहयोग संगठन के देशों के साथ मजबूत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस संबोधन में आगे यह भी कहा कि, भारत का यह मानना ​​है कि, कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए आगे बढ़ें।

मुख्य विशेषताएं

  • यह पहला शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन है जो आभासी प्रारूप में आयोजित हो रहा है और ऐसी तीसरी बैठक है जिसमें भारत SCO के पूर्ण सदस्य के तौर पर भाग ले रहा है।
  • भारत वर्ष, 2017 में शंघाई सहयोग संगठन का पूर्ण सदस्य बन गया था। इससे पहले, भारत को वर्ष 2005 से एक पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त था।
  • भारत ने पिछले तीन वर्षों में SCO ढांचे के तहत विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक संपर्क और कार्यशीलता को बनाए रखा है।
  • SCO शिखर सम्मेलन के सदस्य राज्यों के प्रमुखों का उद्देश्य अगले वर्ष के लिए इस संगठन का एजेंडा और मुख्य निर्देशों को निर्धारित करना है।
  • यह बैठक राजनीतिक, सुरक्षा, व्यापार, आर्थिक और सांस्कृतिक क्रियाकलापों सहित इस संगठन की गतिविधि के सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करेगी।

महत्व

  • मास्को घोषणापत्र को अपनाने के साथ ही यह SCO शिखर सम्मेलन समाप्त होने की उम्मीद है. SCO से द्वितीय विश्व युद्ध की 75 वीं वर्षगांठ, कोविड -19, डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने, इंटरनेट पर वैश्विक आतंकवाद के प्रसार का मुकाबला करने के साथ ही नशीली दवाओं के खतरों का मुकाबला करने सहित विभिन्न मुद्दों पर बयान देने की उम्मीद है।

 

स्त्रोत:- द हिन्दू, जागरण जोश, बीबीसी न्यूज।

 

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