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At - 2024-01-25 09:43:26
क्वाड शिखर सम्मेलन – 2021
क्वाड का अर्थ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है, जो जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है। मूल तौर पर ये इंडो-पैसिफिक स्तर पर काम कर रहा है, ताकि समुद्री रास्तों से व्यापार आसान हो सके लेकिन अब ये व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को मजबूती देने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है ताकि शक्ति संतुलन बनाए रखा जा सके। साल 2007 में एशिया-प्रशांत महासागर में चीन ने अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया था ।वो पड़ोसी देशों को धमकाने लगा था और समुद्र में सैन्य बेस लगातार बढ़ा रहा था।. ये देखते हुए जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने एक ऐसे संगठन का प्रस्ताव दिया, जिसमें इस सामुद्रिक क्षेत्र में आने वाले ताकतवर देश शामिल हो सके। आखिरकार संगठन बना, जिसकी पहली मीटिंग साल 2019 में हुई थी ।इसके बाद कोरोना के कारण साल 2020 में नेताओं की मुलाकात बाधित हुई। अब वर्चुअल स्तर पर ही शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। क्वाड के तहत प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले विशाल नेटवर्क को जापान और भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो अबे ने इसे दो समुद्रों का मेल कहा था, हालांकि चीन इससे कुछ बौखलाया हुआ भी प्रतीत होता है क्योंकि उसे डर है कि इन ताकतवर देशों के पास आने से समुद्र में उसके अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
संकल्प: क्वाड, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर आधारित ‘स्वतंत्र, मुक्त एवं समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र और क्षेत्रों में मौजूद चुनौतियों से निपटने के प्रति प्रतिबद्ध है।
फरवरी 2021 में क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत-प्रशांत क्षेत्र और म्याँमार में सैन्य अधिग्रहण के मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद इसी वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री ने क्वाड (QUAD) समूह के प्रतिनिधियों के पहले शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस बैठक को अमेरिका द्वारा एक आभासी मंच पर आयोजित किया गया।
इसका केंद्रीय बिंदु कोविड-19, जलवायु परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे विषय था ।
क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप:-
चीन से संबंधित चर्चा:-
भारत का पक्ष:- क्वाड अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के चलते एकजुट है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा।
इस समूह को प्राचीन भारतीय दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का विस्तार कहा जाता है, जो दुनिया को एक परिवार मानता है।
अमेरिका का पक्ष:-क्वाड एक सैन्य गठबंधन या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के समकक्ष नहीं है, यह अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, जलवायु और सुरक्षा पर सहयोग करने का अवसर है।
समुद्री सुरक्षा, मानवीय और आपदा प्रतिक्रिया क्वाड एजेंडे के मूल में हैं।
भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिये QUAD एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनता जा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया का पक्ष:- क्वाड समूह के माध्यम से समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के एक नए स्थायी और शक्तिशाली क्षेत्रीय समूह की शुरुआत हो सकती है।
जापान का पक्ष:- सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के कारण क्वाड को नई गतिशीलता मिली है।
जापान एक स्वतंत्र और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र और कोविड-19 से उभरने सहित क्षेत्र की शांति, स्थिरता के लिये ठोस योगदान करके अपने सहयोग को मज़बूती से आगे बढ़ाएगा।
चीन की आशंका:- चीन ने कहा है कि देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग तीसरे पक्ष को लक्षित करने के बजाय आपसी समझ से करना चाहिये और किसी विशेष गुट का पीछा करने से बचना चाहिये।
संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के शीर्ष राजनयिकों के बीच मार्च 2021 के अंत में अलास्का में बैठक होने वाली है।
QUAD को खुलेपन, समावेशिता और जीत के परिणामों के सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिये और ऐसे कार्यों को करना चाहिये जो क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के अनुकूल हों।
स्रोत- द हिंदू
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