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मुगल सम्राज्य का पतन, भाग-1

By - Admin

At - 2021-10-17 01:09:12

मुगल साम्राज्य का पतन

3 मार्च 1707  को अहमदनगर में औरंगजेब की मृत्यु के समय मुगल साम्राज्य में 21 सूबे थे, जिनमें अफगानिस्तान में एक, उत्तर भारत में 14 और दक्षिण में 6 सूबे थे।

अकबर से लेकर औरंगजेब तक (1556 -1707) चार मुगल शासकों ने 151 वर्ष तक शासन किया जबकि इसके  कमजोर उत्तराधिकारियों ने इतने ही वर्षों में (1707- 1858)  13 शासक हुए ।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारतीय इतिहास में एक नया युग का पदार्पण पर होता है, जिसे उत्तरोत्तर मुगल काल के नाम से जाना जाता है। 

ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मुगल साम्राज्य का वह युग समाप्त हो गया... जिसमें शाही दरबार की तड़क भड़क अमीर, उमराओं के साज सज्जा और ऐश्वर्य व्यापारियों की धन संपत्ति, विकसित हस्तकलाएं और ताजमहल जैसी भव्य इमारतों के कारण भारत ने विश्व को चकाचौंध कर दिया था।

मुगल साम्राज्य का अंत भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है क्योंकि इस घटना के साथ ही मध्यकालीन भारत का अंत एवं आधुनिक भारत का आरंभ समझा जाता है।

मुगल साम्राज्य के पतन को लेकर विभिन्न इतिहासकारों के विभिन्न मत है, जिसे दो गुटों में बांटा जा सकता है।

एक गुट जिसमें यदुनाथ सरकार, एस.आर शर्मा, लिवरपूल जैसे इतिहासकार शामिल है। जिनका मानना है कि औरंगजेब अपनी नीतियों (धार्मिक, राजपूत, दक्कन आदि) के कारण मुगल साम्राज्य को पतन की ओर ले गया। जबकि दूसरे गुट में सतीशचंद्र, इरफान हबीब, अतहर अली, शीरीन मूसवी के दृष्टि से मुगल साम्राज्य के पतन का व्यापक संदर्भ में देते हुए इसके बीज को बाबर के शासनकाल में ही मानते हैं। इन इतिहासकारों ने मुगल साम्राज्य के पतन को दीर्घावधिक  प्रक्रिया का परिणाम माना है।

 

मुगल साम्राज्य के पतन का कारण-

 वैसे तो मुगल साम्राज्य के पतन का क्या कारण है जिन्हें संक्षेप में निम्न तथ्यों से समझा जा सकता है

1. औरंगजेब ने अपने दक्कन के सैन्य अभियानों पर व्यापक मात्रा में धन और जन को नष्ट किया साथ ही दक्कनी सेना अभियानों में व्यस्तता के कारण वह उत्तर भारत की ओर ध्यान नहीं दे सका, जो कलांतर  में मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बना। 

2. औरंगजेब अपनी राजपूत नीति से राजपूतों की निष्ठा से वंचित हो गया जिस कारण उन्हें राजपूत रणबांकुरे की सेवा नहीं मिल सकी जिन्होंने मुगल साम्राज्य के वैभव को कभी उत्कर्ष पर पहुंचाया था।

3. मुगल दरबार में उमरा वर्ग का प्रभुत्व बढ़ता गया और उनकी शासक निर्माता की छवि भी मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार रहे

4.  औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता की नीति ने अकबर जहांगीर शाहजहां के समय की धर्मनिरपेक्ष छवि को समाप्त कर दिया ।औरंगजेब ने पुनः जजिया कर  को लगाकर, मंदिरों को तोड़ने का आदेश देकर, अकबर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति को गलत दिशा दिया जो मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बना ।

5. विशाल मुगल साम्राज्य के लिए एक केंद्रीय प्रशासन का भी अभाव साम्राज्य के पतन का कारण बना, इसके साथ मुगल साम्राज्य के पतन के लिए कुछ हद तक नादिरशाह, अहमद शाह का आक्रमण भी एक प्रमुख कारण रहा । साथ में यूरोपीय कंपनी के आगमन ने भी मुगल साम्राज्य को पतन में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

6. औरंगजेब की मृत्यु के बाद जितने भी शासक आए वह कठपुतली शासक ज्यादा रहे एवं मुगल शहजादा आपस में लड़ने में व्यस्त रहें।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके पुत्र मुअज्जम, मोहम्मद आजम और मोहम्मद कामबख्श  में उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ। मुअज्जम काबुल में, आजम गुजरात में और कामबख्श बीजापुर का सूबेदार था। जाजौ में जून 1707 में लड़े गए युद्ध में मुअज्जम की सेनाओं ने आजम को परास्त कर मुगल सिंहासन पर अधिकार करने का मार्ग प्रशस्त कर लिया । 1707 ईस्वी में ही मुअज्जम बहादुर शाह प्रथम की उपाधि के साथ (65 वर्ष की आयु में) दिल्ली के तख्त पर बैठा।

औरंगजेब के बाद बनने वाले प्रमुख उतरवर्ती  मुगल शासक :- 
1.  बहादुर शाह प्रथम (1707 से 1712)
2. जहांदारशाह ( 1712 से 1713)
3. फर्रूखसियर 1713 से 1719 ईसवी 
4. मोहम्मदशाह (1719 से 1748) 
5. अहमद शाह (1748 - 1754) 
6. आलमगीर द्वितीय (1754 - 1759)
7.  शाहआलम द्वितीय (1759 से 1806 )
8. अकबर द्वितीय (1806 से 1837 ) 
9. बहादुरशाह द्वितीय (1837 से 1858, 1862 में रंगून में मृत्यु)

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