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भारतीय मरुस्थल

By - Gurumantra Civil Class

At - 2024-01-18 22:44:47

भारतीय मरुस्थल

  • थार मरुस्थल भारत के उत्तर-पश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थितहै।
  • भारत थार मरुस्थल का अधिकांश भाग राजस्थान में स्थित है परन्तु कुछ भाग हरियाणा, पंजाब,गुजरात और पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में भी फैला है।
  • इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 150 mm से भी कम वर्षा होती है। इस शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र में वनस्पति बहुत कम है।
  • वर्षा ऋतु में ही कुछ सरिताएँ दिखती हैं और उसके बाद वे बालू में ही विलीन हो जाती हैं। पर्याप्त जल नहीं मिलने से वे समुद्र तक नहीं पहुँच पाती हैं।
  • केवल ‘लूनी’ ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है। बरकान अर्धचंद्राकार बालू का टीला का विस्तार बहुत अधिक क्षेत्र पर होता है लेकिन लंबवत् टीले भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप प्रमुखता से पाए जाते हैं। जैसलमेर में बरकान के समूह देख सकते हैं।
  • थार मरुस्थल  बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है। जिसका अधिकांश भाग पाकिस्तान में स्थित है ।थार मरुस्थल अद्भुत है। गर्मियों में यहां की रेत उबलती है। इस मरुभूमि में 60°तक तापमान रिकार्ड किया गया है। जबकि सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। गरमियों में मरुस्थल की तेज हवाएं रेत के टीलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं और टीलों को नई आकृतियां प्रदान करती हैं।

भारत का ठंडा रेगिस्तान – लद्दाख

भारत का सबसे ठंडा रेगिस्तान लद्दाख क्षेत्र है। इसे चट्टानी धरती अथवा अनेक दर्रों वाली भूमि भी कहते हैं। लद्दाख का क्षेत्रफल 1,17,000 वर्ग किलोमीटर है। यह संसार का सबसे ऊंचा निर्जन पठार है। लद्दाख की ऊंचाई 2750 मीटर से लेकर 7,672 मीटर है।

 

लद्दाख क्षेत्र में चार पर्वत श्रृंखलाएं हैं :-

1. विशाल हिमालय

2. लेह-लद्दाख जंस्कार

3. लद्दाख

4. काराकोरम।

 इतनी ऊंचाई पर स्थित चोटियां भारतीय मानसून के समय जलयुक्त बादलों को रेगिस्तान क्षेत्र (लद्दाख) में बरसने से रोकती हैं। अतः वहां वर्षा कम होती है। लद्दाख हमेशा से ठंडा रेगिस्तान नहीं था। हमें आज जो स्थान दिखता है, वहां किसी समय झीलों का विशाल तंत्रा था। उन झीलों में से कुछ आज भी अस्तित्व में हैं। यहां का वातावरण शुष्क, ऊंची नीची चट्टानों से युक्त है तथा यहां तापमान बहुत कम ही रहता है। यहां वर्षा विरला ही होती है।

लद्दाख क्षेत्र में शीत ऋतु में कभी-कभी तापमान -45 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। कठोर परिस्थितियों के बावजूद यह स्थान जीवन निर्जन नहीं है। यहां जानवर और वनस्पतियों ने इतनी रूखी परिस्थितियों में भी जीने के लिए अपने में अनुकूलन विकसित किया है।

सबसे छोटी भेड़-यूरियल लद्दाख में जहां पर पानी उपलब्ध है वहां वनस्पतियां मिलती हैं। अनेक जंगली औषधियां और झाडि़यां छोटे-छोटे सोतों या झरनों के किनारों पर उगती हैं। कुछ वनस्पतियां ऊंची ढलानों के सिंचित क्षेत्रों में भी मिलती हैं। गर्मियों में भारत के गर्म हिस्सों से अनेक पक्षी लद्दाख पहुंचते हैं। एक शुष्क क्षेत्र के बावजूद लद्दाख की पक्षियों की विविधता अद्भुत है। यहां कुल 225 प्रजातियों के

याकपक्षी, जिनमें से अधिकतर प्रवासी पक्षी हैं, देखे गए हैं। इनमें से कुलिंग, दहियल, थिरथिरा और हुदहुद गर्मियों के मौसम में अधिक दिखाई देते हैं। इनके अलावा इस क्षेत्र में भूरे सिर वाली गॅर, ब्राह्ममिण बत्तख, हंस, काली गर्दन वाली सारस, कोआ, तिब्बती रामचकोर, लैमरगियर और सुनहरी बाज भी देखे जा सकते हैं।

लद्दाख के स्तनधारी पशुओं में मुख्य रूप से दुर्लभ साकिन, याक (एक प्रकार का जंगली गाय), संसार की सबसे बड़ी आकार की तिब्बतीय भेड़ नयान, भराल (नीली भेड़) तथा संसार की सबसे छोटी भेड़ यूरियल, भूरी भेड़, मारमोट्स, खरगोश, हिम तेंदुआ, बनबिलाव, तिब्बती हिरण एवं तिब्बती भेडि़या है। हाल ही में इस क्षेत्र में तिब्बती रेतीली लोमड़ी खोजी गई है।

लद्दाख के निवासियों की जीवन-शैली परंपरागत है। यहां के स्थानीय निवासी भेड़ तथा याक पालने के साथ ग्रीष्म ऋतु में नदियों की तली में जौ की खेती करते हुए जीवनयापन करते हैं।

 

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