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महासागरीय लवणता में विभिन्नता के कारण और प्रभाव ( Causes and Effects of Variation in Ocean Salinity) GS Mains Answer Writing

By - Gurumantra Civil Class

At - 2024-01-09 21:36:31

प्रश्न :- महासागरीय लवणता में विभिन्नता के कारणों को स्पष्ट करते हुए इसके बहुआयामी प्रभावों की विवेचना करें।

उत्तर-महासागरीय जल के प्रति किलोग्राम में उपस्थित लवण की मात्रा को महासागरीय लवणता कहते हैं। उदाहरण के लिए 30% का अर्थ है 30 ग्राम प्रति हजार ग्राम में । इसे लवणता मापी यंत्र द्वारा मापा जाता है। इसका प्रभाव लहर, धाराओं, तापमान, मछलियों, सागरीय जीवों, प्लैंक्टन सभी पर पड़ता है। अधिक लवण युक्त सागर देर से जमता है एवं लवणता अधिक होने पर वाष्पीकरण न्यून होता है, जल का घनत्व भी बढ़ता है। समान लवणता वाले स्थान को मिलाने वाली रेखा को समलवण रेखा कहते हैं।

छात्र/छात्रा यहां संक्षेप में भी लिख सकते हैं। जैसे उदाहरण देने की आवश्यकता नहीं है, केवल महासागरीय लवणता की परिभाषा तक सीमित रख सकते हैं।

1884 ईस्वी में चैलेंजर अन्वेषण के समय डिटमार ने सागर में 47 प्रकार के लवणता का पता लगाएं, जिनमें सात प्रकार के लवण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। विभिन्न सागरों में लवणता की मात्रा 33% से 37% के बीच रहती है। महासागरों की औसत लवणता 35% है परंतु प्रत्येक महासागर, झील आदि में लवणता की मात्रा अलग-अलग पाई जाती है। नदियां लवणता को सागर तक पहुंचाने वाले कारकों में प्रमुख है।

महासागरों में अलग-अलग स्थानों पर लवणता में विभिन्नता पाई जाने के निम्नलिखित कारण है :-

स्वच्छ जल आपूर्ति – जहां स्वच्छ जल की आपूर्ति लगातार रहती है, वहां लवणता में कमी पाई जाती है। ग्लेशियरों के बर्फ के पिघलने से समुद्र में स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारणवश लवणता में विभिन्नताता आ जाती है।


वाष्पीकरण के कारण -  जिन समुद्री क्षेत्रों में वाष्पीकरण अधिक होता है, वहां लवणता की मात्रा अधिक पाई जाती है। उष्ण मरुस्थल  के पास स्थित महासागरीय क्षेत्रों में लवणता अधिक होती है।


महासागरों में वाष्पीकरण के कारण जल  वाष्प बनकर उड़ता रहता है, शेष जल में नमक की मात्रा बढ़ती रहती है। वहीं स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ने से जल में नमक की मात्रा कम हो जाती है।


महासागरीय धाराएं - भूमध्य रेखा से ध्रवों  की ओर चलने वाली धाराएं अपने साथ अधिक लवणता वाला जल लेकर जाती हैं और ध्रवों  से भूमध्य रेखा की और प्रभावित होने वाली महासागरीय धाराएं अपने साथ कम लवणता वाले जल लेकर प्रभावित होती है ।


भारी वर्षा वाला क्षेत्र होने के कारण भूमध्य रेखा के निकट अमेजन व जायरे  जैसी नदियां समुद्र में स्वच्छ जल गिराती है, साथ ही अधिक आद्रता वाले क्षेत्र होने के कारण यहां वाष्पीकरण कम होता है। इसलिए यहां लवणता कम होती हैं।


मृत सागर, टर्की की वॉन झील और अमेरिका की ग्रेट साल्ट झील विश्व में उच्च लवणता वाले क्षेत्र हैं। (प्रश्न की प्रकृति के अनुसार इसे लिखना अनिवार्य नहीं है किंतु छात्र इसे जानकारी में रख ले, प्रश्न परिवर्तन में लिखा जा सकता है।)


अतः  सामान्य रूप से वर्षा के कारण लवणता घटती है जबकि वाष्पीकरण के फलस्वरूप सागरीय लवणता में वृद्धि होती है ।लवणता की मात्रा को नियंत्रित करने वाले कारकों में वाष्पीकरण, वर्षा, नदी के जल का आगमन, पवन, सागरीय धाराएँ तथा लहरें आदि प्रमुख हैं । बड़ी नदियों के जल के महासागरों में आने पर तटीय जल की लवणता में कमी होती है ।उच्च वायुदाब एवं प्रतिचक्रवातीय दशाओं के कारण लवणता में वृद्धि होती है । जबकि, प्रचलित हवाओं एवं महासागरीय धाराओं के कारण सागरीय लवणता में क्षेत्रीय भिन्नता आती है । सागरीय हिम के पिघलने पर लवणता में कमी आती है ।


इसके प्रभाव - 

  •  महासागरीय लवणता, जल के संघटन तथा उसके घनत्व को परिवर्तित कर उसके संचरण को प्रभावित करती है जिसके कारण विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं।
  •  महासागरीय जल धाराएं घनत्व में भिन्नता होने के कारण प्रभावित होती है।  जल घनत्व में परिवर्तन इनके प्रभाव को प्रभावित करेगा।
  • पृथ्वी से होने वाले कुल वाष्पीकरण का लगभग 86% तथा पृथ्वी को प्राप्त होने वाली वर्षा का कुल 78% भाग समुद्र से संबंधित है। अतः महासागरीय लवणता के माध्यम से जल चक्र पर भी निगरानी संभव है।
  • मछलियां तथा कुछ अन्य जलीय जीव लवणता की एक विशेष रेंज में ही अपना अस्तित्व बनाए रख पाते हैं। सीमा से अधिक लवणता क्षेत्र विशेष में जैव विविधता को प्रभावित करती है।
  • समुद्र में कम लवणता विभिन्न जलीय जीवों व प्लैंकटन के जीवन को खतरे में डाल सकती हैं, जो पूरे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती है।

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