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महात्मा गांधी की हत्या के लिए होने वाले आठ प्रयास

By - Gurumantra Civil Class

At - 2024-07-31 20:15:14

महात्मा गांधी की हत्या के लिए होने वाले आठ प्रयास

भारत के राष्ट्रपिता माने जाने वाले एवं भारतीय स्वतंत्रता के सर्वश्रेष्ठ नायक महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की सुबह नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर की गई थी, किंतु इसके पूर्व भी महात्मा गांधी पर उसकी हत्या के लिए कई बार हमले हुए किंतु वे सभी हमले नाकाम हुए ।

1. पहली कोशिश -

वर्ष 1917 में चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी मोतिहारी में थे । वहां नील फैक्ट्रियों के मैनेजरों के नेता इरविन ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया और सोचा कि अगर इस दौरान गांधी को खाने-पीने की चीज़ों में कोई ऐसा ज़हर दे दिया जाए जिसका असर कुछ देर से होता हो, तो उनकी नाक में दम करने वाले इस आदमी की जान भी चली जाएगी और उनका नाम भी नहीं आएगा । ये बात बताई गई इरविन के यहां काम करने वाले बतख़ मियां अंसारी को, बतख़ मियां से कहा गया कि आप वो ट्रे लेकर गांधी के पास जाएंगे । बतख़ मियां का छोटा सा परिवार था, बहुत कम जोत के किसान थे, नौकरी करते थे, उससे काम चलता था, उन्होंने मना नहीं किया । ट्रे लेकर चले गए, लेकिन जब गांधी के पास पहुंचे तो बतख़ मियां की हिम्मत नहीं हुई कि वो ट्रे गांधी के सामने रख दें । गांधी ने उन्हें सिर उठाकर देखा तो बतख़ मियां रोने लगे । इस तरह सारी बात खुल गई कि उसमें क्या था, क्या होने वाला था ।

2. दूसरी कोशिश - 

 जब चंपारण में गांधी की हत्या की पहली कोशिश नाकाम हो गई तो एक और अंग्रेज़ मिल मालिक था, उसे बहुत ग़ुस्सा आया ।उसने कहा कि गांधी अकेले मिल जाएं तो मैं गोली मार दूंगा । ये बात गांधी तक पहुंच गई । गांधी उसी के इलाक़े में थे । अगली सुबह गांधी अपनी सोंटी लिए हुए उसकी कोठी पर पहुंच गए । उन्होंने वहां चौकीदार से कहा कि उन्हें बता दो कि मैं आ गया हूं और मैं अकेला हूं ।कोठी का दरवाज़ा नहीं खुला और वो अंग्रेज़ बाहर नहीं निकला।

3. तीसरी कोशिश - 

वर्ष 1934 में पुणे में हुआ था । उन्हें एक समारोह में जाना था, तभी वहां लगभग एक जैसी दो गाड़ियां आईं । एक में आयोजक थे और दूसरे में गांधी और कस्तूरबा गांधी यात्रा करने वाले थे । आयोजकों की कार निकल गई और गांधी की कार एक रेलवे फाटक पर रुक गई ।जो कार आगे निकल गई थी, एक धमाके में उसके परखच्चे उड़ गए । गांधी उस हमले में बच गए क्योंकि ट्रेन देर से आई ।

4. चौथी कोशिश- 

1944 में आगा खां पैलेस से रिहाई के बाद गांधी पंचगणी जाकर रुके थे और वहां कुछ लोग उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे । गांधी ने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन उनमें से कोई बात करने को राज़ी नहीं था । आख़िर में एक आदमी छुरा लेकर दौड़ पड़ा, किंतु उसे पकड़ लिया गया। ये हमला भी नाकाम हुआ ।

5. पांचवी कोशिश - 

वर्ष 1944 में ही पंचगणी की घटना के बाद गांधी और जिन्ना की बंबई में वार्ता होने वाली थी। मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा के लोग इससे नाराज़ थे । वहां भी गांधी पर हमले की कोशिश हुई, किंतु वो भी नाकाम रही ।

6. छठी कोशिश - 

1946 में महाराष्ट्र के नेरूल के पास गांधी जिस रेलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे, उसकी पटरियां उखाड़ दी गईं। ट्रेन उलट गई, इंजन कहीं टकरा गया लेकिन गांधी को उसमें कोई खरोंच नहीं आई ।

7. सातवीं कोशिश - 

वर्ष 1948 में हमले हुए । मदनलाल बम फोड़ना चाहते थे वो फूटा नहीं और लोग पकड़े गए ।

8. आठवीं कोशिश - 

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली चलाई और गांधी की जान चली गई ।

ध्यातत्व दे कि एक आदमी इन में से चार हमलों की जगह पर मौजूद था, वो था नाथूराम गोडसे ।

 

 

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