सन 2000 में विभाजन के बाद खनिज सम्पदा वाला अधिकांस हिस्सा झारखण्ड के पास चला गया है लेकिन वर्तमान में बिहार में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज चीनी मिट्टी, पायराइट, चूना पत्थर, स्लेट, सोना, शोरा तथा सजावटी ग्रेनाइट, क्वार्टज आदि है।
बिहार में प्राचीन भारत का मगध एवं वैशाली जैसा इतिहास क्षेत्र अवस्थित है जहां खनन आधारित उत्पादन के विकास के प्रमाण है। प्रारंभ में इस क्षेत्र में उपलब्ध जैसे शोरा के कारण ही विदेशी व्यावसायिक शक्तियां आकर्षित हुई।
भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बिहार के विभिन्न जिलों में अनेक प्रकार की खनिज संपदा पाई जाती है।
बिहार राज्य देश में पाईराइट का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है।
बिहार के प्रमुख खनिज लवण
खनिज - प्राप्ति स्थल
1. मैगनीज - मुंगेर एवं गया जिले
2. टीन- गया, देवराज व चकखंद
3. बॉक्साइट - मुंगेर (खड़कपुर की पहाड़ियों, खपरा, मेरा, देंता, सारंग) व रोहतास जिले
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के मुंगेर जिले के खड़कपुर पहाड़ियों में सतह से 100 मीटर नीचे तक करीब 44.9 करोड क्वाट्र्जनाईट का पता लगाया गया है, जिस में सिलिका की मात्रा 97 में से 99% है। इसका उपयोग है कांच उद्योग में किया गया है और आजकल इसका उपयोग है सिलिका की ईट बनाने में व्यापक रूप से हो रहा है।
राज्य के बांका, भागलपुर एवं जमुई जिलों से गुजरने वाले इसातु-बेलबभान बहुधात्मिक पट्टी में उपधातु तांबा, सीसा और जस्ता का पता लगाया गया है।
बांका जिला के पिंडारा, ढाबा एवं बिहार वाड़ी क्षेत्रों में 6.9 लाख टन उप धातु अयस्क का आकलन किया गया है।
कुछ प्रमुख खनिजों के गुण
सॉप स्टोन- सॉपस्टोन का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन एवं पेंट उद्योग में किया जाता है। सॉपस्टोन का बड़ा भंडार जमुई जिला के शंकरपुर क्षेत्र में पाया जाता है।
सैंडस्टोन - सैंडस्टोन का उपयोग मुख्य रूप से भवन निर्माण हेतु सजावटी पत्थर तथा शीशा उद्योग में किया जाता है।रोहतास के कैमूर पहाड़ियों पर उच्च सिलिका प्रतिशत वाला सैंडस्टोन का परचुर भंडार है।
सोना - यह मुंगेर जिले के करमटिया में मिलता है।
अभ्रक - यह एक अधात्विक खनिज है, अंत: यह बिजली का कुचालक है। अत्यधिक ताप सहन करने में समर्थ इस खनिज का उपयोग बिजली के साथ अन्य उद्योगों में भी होता है।झारखंड के गिरिडीह व कोडरमा से पूर्व बिहार में नवादा और जमुई जिले तक अभ्रक कि 145 किलोमीटर लंबी और 32 किलोमीटर चौड़ी 1 पेटी पाई जाती है।विश्व की सर्वोत्कृष्ट कोटि रूबी अभ्रक उत्पादन करने वाला क्षेत्र बिहार और झारखंड के 4640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
बिहार के प्रमुख अभ्रक क्षेत्र है- नावदा, जमुई, मुंगेर, भागलपुर और गया।
एस्बेटस - यह एक चमकीला तथा रेशेदार खनिज है जो धारवाड़ क्रम की चट्टानों में पाया जाता है।भवन निर्माण के कार्य में लाया जाने वाला यह खनिज बिहार में मात्र मुंगेर जिला में ही कुछ मात्रा में पाया जाता है।
क्वार्टज - इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों, जैसे- सीसा, सीमेंट, रिफेक्ट्री बिजली उद्योग इत्यादि में होता है।यह मुख्य रूप से मुंगेर जिले के धारवाड़ युग की पहाड़ियों में पाया जाता है।
गंधक - गंधक हालांकि एक महत्वपूर्ण खनिज है पर बिहार में इसका अभाव है।अभी तक इसकी प्राप्ति तांबा अयस्क तथा पायराइट खनिज प्रस्तर से होती है।वर्तमान समय में व्यवसायिक स्तर पर पायराइट्स का खनन रोहतास जिले के अमझौर नामक स्थान पर होता है तथा इससे गंधक का अम्ल तैयार किया जाता है।
गैलेना - गैलेना लेड धातु का एक प्रमुख अयस्क है। राज्य में खनिज के बड़े निक्षेप बांका जिला के अबरखा क्षेत्र में मिलने की पुष्टि की गई है।इस खनिज का उपयोग आणविक संयंत्र निर्माण, पेंट तथा अन्य रसायन उद्योग में किया जाता है।
चीनी-मिट्टी - यह फेल्सपार के विघटन से प्राप्त होने वाली उजली मिट्टी है। इसका उपयोग तापसाह उद्योग, कागज, उर्वरक, वस्त्र, कॉस्मेटिक, कीटनाशक, सीमेंट एवं बर्तन उद्योग में होता है।यह खनिज बिहार के भागलपुर और मुंगेर जिले में मिलता है।
चुना-पत्थर - यह सीमेंट का प्रमुख कच्चा माल है, परंतु इसका उपयोग इस्पात उद्योग के धमन भट्टी के अलावा चीनी, सूती वस्त्र, उर्वरक जैसे अनेक उद्योगों में भी उपयोग होता है।
देश में सबसे ऊंची चोटी का चूना पत्थर रोहतास और कैमूर जिले में फैले कैमूर पठार में पाया जाता है। चुनाईटन, रामडीहरा, बउलिया, और बंजारी आदि प्रमुख चुना पत्थर के उत्पादक क्षेत्र है।
टीन - यह कैसिटराइट नामक खनिज संस्तर से प्राप्त होता है।इसका उपयोग अनेक मिश्र धातुओं के निर्माण से होता है।यह बिहार के गया जिले के देवराज और कुर्कखंड नामक स्थानों में मिलता है।
डोलोमाइट -यह धवन भट्टियों और रिफैक्ट्री उद्योग के कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह बिहार के रोहतास जिला में पाया जाता है।
पाइराइट - पाइराइट गंधक का स्रोत है। पाइराइट में गंध का 47% है।इसका उपयोग सुपर फास्फेट, कठोर रब्बर तथा पेट्रोलियम उद्योग में होता है। यह मुख्यतः उपरी विंध्य समूह है, हर की पहाड़ियों, मनकोहा आदि में पाया जाता है।
रोहतास जिले के अंदर में लगभग 109 वर्ग किलोमीटर में पायराइट्स पाया जाता है। यहां इस का अनुमानित संचित भंडार करीब 40 करोड़ टन है। अमझौर में आयरन पायराइट्स का एक कारखाना भी है।
फेल्सपार - यह मुख्यतः पेगमेंटाइट में क्वार्टज के साथ पाया जाता है तथा इसका उपयोग सिरामिक, शीशा और रिफैक्ट्री उद्योग में होता है।
यह मुंगेर जिले में पाया जाता है। जहां रेल मार्ग की सुविधा है, उन्हीं क्षेत्रों में व्यवसाई के स्तर पर इस का खनन संभव हो पाया है।
बॉक्साइट - लैटेराइट के साथ बिहार में बॉक्साइट के भंडार उपलब्ध है. यह रोहतास जिले के बंजारी में मिलता है।
यूरेनियम - इसका उपयोग महत्वपूर्ण रिएक्टरों को संचालित करने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है। यह खनिज बिहार के गया में पाया जाता है।
रेह - यह एक क्षारीय मिट्टी है जो ग्रामीण अंचलों में छोरा उत्पादक क्षेत्रों के समीपवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है। उत्तर पश्चिम विहार के अतिरिक्त यह पटना, गया और मुंगेर जिलों के कुछ स्थानों में भी पाई जाती है।
शोरा- बिहार प्राचीन काल में शोरा का महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस रसायन के निर्यात की शुरुआत की थी।यह नोनिया मिट्टी के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में पाया जाता है। बिहार में इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिले में है। बिहार का शोरा मुख्यत: विस्फोटक, अन्य रासायनिक पदार्थ है, उर्वरक आदि के निर्माण हेतु किया जाता है।
स्लेट - यह मुंगेर और जमुई जिलों की खड़कपुर पहाड़ियों में पाया जाता है।
सीसा - यह गैलेना खनिज संस्तर से प्राप्त होता है। इसका उपयोग अनेक रूपों में किया जाता है। यह भागलपुर जिले के कुछ स्थानों पर पाया जाता है।
सोडियम लवण- यह सारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर और पश्चिमी चंपारण जिलों में प्रचुरता से उपलब्ध है। साथ ही यह नवादा, गया, मुंगेर में भी पाया जाता है।
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By - Admin
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