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At - 2024-01-25 09:52:15
बिहार की प्रमुख जनजाति
बिहार में पाए जानेवाली प्रमुख जनजातियाँ निम्नलिखित हैं:-
1. गोंड :- यह जनजाति बिहार के छपरा, चंपारण और रोहतास जिलों में पाई जाती है। ये लोग गैर-आदिवासियों के साथ रहते हैं तथा इनकी भाषा मुंडारी हैं।
2. खोंड :- यह कृषि कार्यों में मजदूरी करनेवाली जनजाति है, जो शाहाबाद क्षेत्र में निवास करती है। इनकी भाषा स्थानीय सदानी हैं।
3. बेड़िया :- इस जनजाति के लोग प्रायः बिखरकर रहते हैं, जो अधिकतर मुंगेर जिले में रहते हैं और स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं।
4. उराँव :- प्रोटोऑस्ट्रेलाइड और द्रविड़ परिवार से संबंधित इस जनजाति के लोग मुख्य रूप से झारखंड में निवास करते हैं। इस जनजाति आर्थिक जीवन में मिश्रित संरचना के दर्शन होते हैं।
5. संथाल :- संथाल जनजाति भी मुख्य रूप से झारखंड में निवास करने वाली जनजाति हैं, जो बिहार में पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा आदि जिलों में निवास करती हैं।
इन्हें भी प्रोटोऑस्ट्रेलाइड परिवार से संबंधित माना जाता है। इनकी भाषा संथाली है, जो ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषा-परिवार की है। सिंगबोंगा इनका पूज्य देवता हैं।
6. खैरवार :- खैरवार जनजाति भी मुख्य रूप से झारखंड में निवास करने वाली जनजाति हैं, जो बिहार राज्य के रोहतासगढ़ क्षेत्र में भी पाई जाती है। इस जनजाति के लोगों की भाषा मुंगरी हैं।
7. गोराइत :- बिहार के गया और भोजपुर जिलों में निवास करनेवाली यह जनजाति प्रोटोऑस्ट्रेलाइड समूह की है। इनके सामाजिक जीवन में परिवार को सबसे छोटी इकाई माना जाता है तथा यह एकल परिवार पद्धति को अपनाते हैं।
8. चेरो :- चेरो जनजाति भी मुख्य रूप से झारखंड के पलामू में निवास करने वाली जनजाति हैं, चेरो जनजाति के कुछ लोग बिहार के गया, रोहतास, भोजपुर और मुंगेर जिलों में पाए जाते हैं। इस जनजाति के लोग स्वयं को क्षत्रिय और चौहानांशीय राजपूत मानते हैं।
9. कोरा :- कोरा जनजाति बिहार के जमुई, कटिहार और मुंगेर जिलों के कुछ हिस्सों में निवास करती है, इनकी भाषा मुंडारी है। इस जनजाति का सामान्य व्यवसाय कृषि है, किन्तु ये लोग वन-उत्पाद और मजदूरी पर अधिक आश्रित हैं।
10. कोरवा :- कोरवा जनजाति के लोग रोहतास, पूर्णिया, मुंगेर और कटिहार जिले में निवास करते हैं। इनकी सामाजिक व्यवस्था में एकल परिवार और स्वजातीय विवाह की परंपरा है। इस जनजाति का व्यवसाय झूम कृषि तथा शिकार हैं।
11. मुंडा :- मुंडा जनजाति बिहार के बक्सर और रोहतास जिले में निवास करते हैं। इनकी भाषा मुंडारी है। मुंडा जनजाति भी झूम कृषि पर निर्भर हैं। सिंगबोंगा को यह अपना सर्वोच्च देवता मानते हैं, जो सूर्य से संबंधित है।
इनके संवैधानिक स्थिति :-
किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के आधार हैं-
1. आदिम लक्षण,
2. विशिष्ट संस्कृति,
3. भौगोलिक पृथक्करण,
4. समाज के एक बड़े भाग से संपर्क में संकोच,
5. पिछडापन।
गुरुमंत्रा विद्यासंस्थान, बिहार
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बिहार से झारखंड अलग हो जाने के बाद बिहार में खनिज का वह भंडार ना रहा जो भंडार झारखंड के अलग होने से पूर्व था, लेकिन इसके बावजूद बिहार में अभी कई ऐसे खनिज का भंडार है जो बिहार की आर्थिक समृद्धि के लिए सहायक हो सकती है। इस लेख में इन्हीं खनिजों के विषय में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
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बिहार एक ऐसा राज्य जोकि प्राचीन काल से ही विद्वानों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें विश्व की प्राचीन विश्वविद्यालय के इतिहास होने का गौरव प्राप्त है। इस भूमि में प्राचीनकाल से ही कई साहित्यकार का जन्म हुआ, जिनकी कृति आज भी लोकप्रिय है।