By - Gurumantra Civil Class
At - 2024-01-18 22:40:17
बिहार की प्रमुख नदियां
• किसी देश या प्रदेश का जलप्रवाह तन्त्र वहाँ की स्थलाकृति और जलवायु से प्रवाहित होता है। बिहार के जलप्रवाह पर भी इन्हीं तत्त्वों का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यहाँ के जलप्रवाह तन्त्र में अनेक छोटी-बड़ी नदियाँ हैं। मुख्य नदी गंगा है जो राज्य के मध्य भाग में पश्चिम से पूर्व को प्रवाहित होती है। इसमें उत्तर तथा दक्षिण से निकलने वाली नदियाँ मिलती हैं। कुछ नदियाँ छोटा नागपुर के पठार से निकलकर दक्षिण और पूर्व में प्रवाहित होती हैं।
जलप्रवाह तन्त्र को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है –
• गंगा में उत्तर से आकर मिलने वाली नदियाँ – सरयू, अजय, किऊल, गण्डक, बूढी गण्डक, कमला, बलान, बागमती, कोसी तथा महानन्दा हैं।
• गंगा में पठारी भाग से आकर मिलने वाली नदियाँ – सोन, उत्तरी कोयल, पुनपुन, चानन, फल्गु, सकरी, पंचाने तथा कर्मनाशा हैं।
गंगा नदी
• कुल लंबाई – 2525 किमी.
• बिहार में लंबाई – 445 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 15,165 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल –गंगोत्री हिमनद उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जहां से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग में अलकनंदा से मिल जाती है।. इस संगम के बाद गंगा का निर्माण होता है।
• मुहाना – बंगाल की खाड़ी
गंगा नदी बिहार के मध्य भाग में पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती है। यह नदी उत्तर प्रदेश से बिहार के बक्सर जिला में चौसा के पास प्रवेश करती है। इस क्षेत्र में गंगा, गंडक, सरयू (घाघरा) और कर्मनाशा नदी बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा रेखा का निर्धारण करती हैं। इसमें उत्तर दिशा से (बाएँ तट पर) घाघरा, गंडक, बागमती, बलान, बूढ़ी गंडक, कोसी, महानंदा और कमला नदी आकर मिलती हैं, जबकि दक्षिण दिशा से (दाएँ तट पर) सोन, कर्मनाशा, पुनपुन, किऊल आदि नदियाँ आकर मिलती हैं। प्रमुख नदियों में सर्वप्रथम बिहार क्षेत्र में गंगा में सोन नदी दानापुर से 10 किलोमीटर पश्चिम में मनेर के पास आकर मिलती है।
गंगा नदी बिहार एवं झारखंड के साहेबगंज जिले के साथ सीमा रेखा बनाते हुए बंगाल में प्रवेश करती है। गंगा अपने यात्रा क्रम में बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार आदि जिलों में प्रवाहित होती है।
जब भागीरथी और अलकनंदा नदी देवप्रयाग में मिलती है उसके बाद इस नदी का नाम गंगा कह रहा होता है | हरिद्वार के पास गंगा नदी समतल भूमि पर पहली बार आती है | गंगा नदी भोजपुर और सारण जिले के बीच सीमा बनाती है | गंगा नदी चौसा के समीप बिहार में प्रवेश करती है | गंगा नदी में छपरा के पास घघर , सोनपुर के पास गंडक ,मुंगेर के पास बागमती ,मनिहारी से पूर्व में महानंदा ,चौसा के पास कर्मनाशा, मनेर के पास फल्गु , फतुहा के पास पुनपुन, सूर्यगढ़ा के पास फल्गु नदी आकर मिलती है|
गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियां – उत्तर की दिशा से गंगा में मिलने वाली प्रमुख नदियां हैं- घाघरा ,गंडक ,बागमती, कमला बलान, बूढ़ी गंडक तथा महानंदा | जबकि दक्षिण की ओर से मिलने वाली प्रमुख नदियां हैं -कर्मनाशा ,सोन, पुनपुन ,घघर , फल्गु, क्यूल नदी
गंगा के किनारे बिहार का पटना, बक्सर, मोकामा, भागलपुर ,मुंगेर जैसे प्रमुख शहर अवस्थित है |
गंगा नदी के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए यह लिंक क्लिक
घाघरा (सरयू नदी)
• कुल लंबाई – 1080 किमी.
• बिहार में लंबाई – 83 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 2,995 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – गुरला मंधाता चोटी के पास नां फा (नेपाल)
• संगम – गंगा नदी (छपरा के पास)
यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा का निर्धारण करती है। अयोध्या तक यह नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, फिर इसका नाम घाघरा हो जाता है। यह नदी सारण जिले में छपरा के समीप गंगा में मिल जाती है। इसे ऊपरी भाग में लखनदेई और करनाली के नाम से भी जाना जाता है।
सरयू नदी को घाघरा , सूरयू या शारदा के नाम से भी जाना जाता है | सरयू नदी को ऊपरी भाग यानी पहाड़ी भाग में करनाली या काली नदी के नाम से जाना जाता है | यह भारत के उत्तराखंड और नेपाल के बीच में सीमा बनाती है | जब काली नदी में करनालिया में घग्गर नदी आकर मिलती है तो इसका नाम सरयू हो जाता है | इसे शारदा नदी भी कहा जाता है| यह नदी बिहार में सारण जिले के समीप प्रवेश करती है और छपरा के पास गंगा नदी में मिल जाती है | उत्तर प्रदेश तथा बिहार की सीमा भी बनाती है|
सरयू नदी की सहायक नदियां में राप्ती सबसे प्रमुख है | इस नदी का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है|
गंडक नदी
• कुल लंबाई – 630 किमी.
• बिहार में लंबाई – 260 किमी
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 4,188 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – अन्नपूर्णा श्रेणी के मानंगमोट और कुतांग के मध्य से
• संगम – गंगा नदी (हाजीपुर)
गंडक नदी सात धाराओं के मिलने से बनी है। सप्तगंडकी, कालीगंडक, नारायणी, शालिग्रामी, सदानीरा आदि कई नामों से जानी जाने वाली गंडक नदी की उत्पत्ति नेपाल के अन्नपूर्णा श्रेणी के मानेगमोट और कुतांग (नेपाल एवं तिब्बत की सीमा) के मध्य से हुई है। गंडक नेपाल में अन्नपूर्णा श्रेणी को काटकर गार्ज का निर्माण करती है। यह नदी भैसालोटन (पश्चिमी चंपारण) के पास बिहार में प्रवेश करती है। पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में बैराज का निर्माण किया गया है। यह नदी सारण और मुजफ्फरपुर की सीमा निर्धारित करते हुए सोनपुर और हाजीपुर के मध्य से गुजरती हुई पटना के सामने गंगा में मिल जाती है। इसी संगम पर विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र का मेला (सोनपुर पशु मेला) प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है। इस नदी को नेपाल में गंडक नारायणी या गंडकी नाम से जाना जाता है।
नेपाल में इसकी मुख्यधारा का नाम काली गंडकी, नारायण गंदगी या नारायणी का कहा जाता है| गंडक नदी पटना के पास सोनपुर या हाजीपुर में उत्तर की ओर से गंगा में मिलती है | यह नदी मुजफ्फरपुर और सारन जिलों के बीच में सीमा बनाती है | गंडक नदी पर वाल्मीकि नगर बैराज स्थित है|
गंडक नदी 7 नदियों के मिलने से बनती है इसीलिए नेपाल में से सप्तगंडकि कहा जाता है |
बूढ़ी गंडक नदी
• कुल लंबाई – 320 किमी.
• बिहार में लंबाई – 320 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 9,601 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – सोमेश्वर श्रेणी के विशंभरपुर के पास चऊतरवा चौर
• सहायक नदियां – डंडा, पंडई, मसान, कोहरा, बालोर, सिकटा, तिऊर, तिलावे, धनउती, अंजानकोटे आदि हैं।
यह नदी गंडक के समानांतर उसके पूर्वी भाग में प्रवाहित होती है। बूढ़ी गंडक नदी उत्तरी बिहार के मैदान को 2 भागों में बाँटती है। हिमालय से निकलकर उत्तर बिहार में प्रवाहित होने वाली उत्तर बिहार की सबसे लंबी नदी है। इसकी उत्पत्ति सोमेश्वर श्रेणी के विशंभरपुर के पास चउतरवा चौर से हुई है। यह उत्तर बिहार की सबसे तेज जलधारावाली नदी है, जिसका बहाव उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है। यह गंडक नदी की परित्यक्त धारा है, जो मुख्य नदी के पश्चिम में खिसक जाने से प्रवाहित हुई हैं।
यह नदी उत्तर बिहार की सबसे तेज धारा वाली नदी है| यह नदी बिहार में पश्चिम चंपारण में राम नगर तथा बगहा के बीच प्रवेश करती है| यह नदी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मुंगेर में बढ़ते हुए खगड़िया के पास गंगा नदी में मिल जाती है|
बागमती नदी
• कुल लंबाई – 597 किमी.
• बिहार में लंबाई – 394 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 6,500 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – महाभारत श्रेणी (नेपाल)
• संगम – लालबकेया नदी (देवापुर)
सहायक नदियां – विष्णुमति नदी, लखनदेई नदी, लाल बकेया नदी, चकनाहा नदी, जमुने नदी, सिपरीधार नदी, छोटी बागमती और कोला नदी।
बूढ़ी गंडक की प्रमुख सहायक नदी बागमती नदी है। यह नदी दरभंगा, मुजफ्फरपुर और मधुबनी जिले में प्रवाहित होती है।
कोसी परियोजना के अंतर्गत इस नदी के पानी को नियंत्रित किया गया है ताकि बाढ़ से कुछ राहत हो सके | कोसी नदी के साथ-साथ बागमती नदी भी अपनी प्रवाह मार्ग बदलने के लिए कुख्यात है |
कमला नदी
• कुल लंबाई – 328 किमी.
• बिहार में लंबाई – 120 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 4,488 किमी.
• उद्गम स्थल – महाभारत श्रेणी (नेपाल)
कमला यह नदी नेपाल की महाभारत श्रेणी से निकलकर तराई क्षेत्र से प्रभावित होती हुई बिहार में जयनगर (मधुबनी जिला) में प्रवेश करती है। मिथिला क्षेत्र में इसे गंगा के समान पवित्र माना जाता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँसोनी, ढोरी और भूतही बलान आदि हैं। बलान नदी इसमें पीपराघाट के निकट मिलती है। कमला नदी कई धाराओं में विभक्त हो जाती है। इनमें से अनेक का नाम कमला ही है। इसकी एक प्रमुख धारा कोसी से मिलती है, जबकि एक धारा खगड़िया जिले में बागमती नदी में मिलती है।
कोसी नदी
• कुल लंबाई – 720 किमी.
• बिहार में लंबाई – 260 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 11,410 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – गोसाई स्थान (सप्तकौशिकी, नेपाल)
• संगम – गंगा नदी (कुरसेला के पास)
कोसी का मूल नाम भी कौशिकी है। कोसी नदी सात धाराओं के मिलने से बनी है। इन धाराओं का नाम इंद्रावती, सनकोसी, ताम्रकोसी, लिच्छूकोसी, दूधकोसी, अरुणकोसी और तामूरकोसी है। त्रिवेणी के पास ये सभी धाराएँ मिलकर कोसी कहलाती हैं। कोसी नदी बाढ़ की विभीषिका के कारण ‘बिहार का शोक’ कहलाती है। यह नदी सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया आदि जिलों में प्रवाहित होती है। कोसी नदी मार्ग परिवर्तन के लिए प्रसिद्ध है तथा पिछले 200 वर्षों में 150 किलोमीटर पूरब से पश्चिम की ओर स्थानांतरित हुई है। कोसी नदी कुरसैला के पास गंगा में मिलने से पूर्व डेल्टा का निर्माण करती है।
महानंदा नदी
• कुल लंबाई – 360 किमी.
• बिहार में लंबाई – 376 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 6,150 वर्ग किमी.
• उद्गम – मकलदिया राम पहाड़ी दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल |
• संगम – गंगा नदी (मनिहारी, कटिहार के पास)
यह उत्तरी बिहार के मैदान में प्रवाहित होने वाली पूरब की नदी है। कई स्थानों पर बिहार और बंगाल के साथ सीमा रेखा का निर्धारण करती है। हिमालय से निकलकर बिहार के पूर्णिया और कटिहार जिले में प्रवाहित होती हुई गंगा में मिल जाती है। पठारी प्रदेश की नदियों में प्रमुख नदी सोन, पुनपुन, फल्गु, कर्मनाशा, उत्तरी कोयल, अजय, हरोहर, चंदन, बढुआ आदि हैं।
महानंदा नदी भारत के पश्चिम बंगाल व बिहार राज्यों और बांग्लादेश में बहने वाली एक नदी है। यह गंगा नदी की एक उपनदी है। हिमालय से निकलने वाली गंगा की अंतिम सहायक नदी है। यह बिहार व पश्चिम बंगाल का बाडर बनाती हैं।
कटिहार में गंगा नदी से मिल जाती | महानंदा कुल 307 किलोमीटर लंबी है | बिहार उतरी बिहार के मैदान की सबसे पूर्वी नदी है | महानंदा यह नदी बिहार के किशनगंज ,पूर्णिया ,कटिहार में बहती है | महानंदा की प्रमुख सहायक नदी कंकई, पैरोर, नागार,वलासार |
सोन नदी
• कुल लंबाई – 780 किमी.
• बिहार में लंबाई – 202 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 15,820 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – अमरकंटक चोटी (मध्य प्रदेश)
• संगम – गंगा नदी (दानापुर एवं मनेर के बीच)
हिरण्यवाह तथा सोनभद्र के नाम से प्रसिद्ध सोन नदी दक्षिण बिहार की सबसे प्रमुख नदी है। सोन के उद्गम के निकट से ही नर्मदा एवं महानदी भी निकलती हैं, जिससे अरीय प्रवाह प्रणाली का निर्माण होता है। यह नदी भंरश घाटी से प्रवाहित होती है। यह नदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा झारखंड में प्रवाहित होते हुए बिहार के रोहतास जिले में प्रवेश करती है। यह दक्षिण बिहार में प्रवाहित होनेवाली गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है। सोन नदी की प्रमुख सहायक नदी गोपद, रिहंद, कन्हर एवं उत्तरी कोयल है। सोन नदी पर दक्षिण-पश्चिम बिहार की सबसे प्रमुख सिंचाई योजना निर्मित है। इस नदी पर प्रथम बाँध 1873-74 में डेहरी में बनाया गया था। बाद में इस नदी पर इंद्रपुरी बराज का निर्माण 1968 ई. में किया गया। आरा के पास कोईलवर में 1440 मीटर लंबा रेल-सह-सड़क पुल 1862 ई. में सोन नदी पर निर्मित किया गया, जो वर्तमान में अब्दुल बारी पुल के नाम से प्रसिद्ध है। यह भारत का सबसे लंबा रेल पुल है। 1900 ई. में इस नदी पर डेहरी के पास नेहरू रेल पुल का निर्माण किया गया है।
सोन नदी झारखंड के पलामू तथा बिहार के रोहतास ,औरंगाबाद, भोजपुर तथा पटना जिले की सीमा बनाते हुए प्रवाहित होती है|
पटना के मनेर या दानापुर के पास गंगा नदी में मिल जाती है | सोन नदी गंगा के दक्षिण की ओर से मिलने वाली सहायक नदी में सबसे लंबी नदी है | इस नदी पर वारुण तथा डिहरी जल विद्युत केंद्र स्थापित है | सोन नदी से अनेक नहर निकाली गई है जिससे सिंचाई होता है | सोन नदी को प्राचीन काल में सोनभद्र और हिरणवाह कहा जाता था|
फल्गु नदी
• कुल लंबाई – 235 किमी.
• उद्गम स्थल – उत्तरी छोटानागपुर पठार (हजारीबाग)
• संगम – गंगा नदी (टाल क्षेत्र)
इसकी मुख्य धारा निरंजना कहलाती है। बोधगया के पास इसमें मोहाने नामक नदी मिलती है। मोहाने के मिलने के बाद ही इसे फल्गु नदी के नाम से जाना जाता है। ये सभी नदियाँ मौसमी नदी हैं। निरंजना नदी के तट पर ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गया में इस नदी के तट पर पितृ पक्ष का मेला लगता है, जिसमें अपने पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है। यह नदी अंत:सलिला या लीलाजन के नाम से भी जानी जाती है। जहानाबाद जिले में बराबर पहाड़ी के पास यह नदी दो शाखाओं में बँट जाती है। आगे चलकर फल्गु नदी अनेक शाखाओं-भूतही, कररूआ, लोकायन, महत्तवाइन आदि में विभक्त हो जाती है।
यह गंगा में मिल जाती है | गया में पितृपक्ष के दौरान इसी नदी में लोग पिंड पिंडदान करते हैं| गया के पास इस नदी की चौड़ाई सबसे ज्यादा होती है|
पुनपुन नदी
• कुल लंबाई – 200 किमी.
• बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 7,747 वर्ग किमी.
• उद्गम स्थल – छोटानागपुर पठार (पलामू)
• संगम – गंगा नदी (फतुहा के पास)
पुनपुन नदी एक मौसमी नदी है, जो कीकट और बमागधी के नाम से भी जानी जाती है। यह नदी बिहार के औरंगाबाद, अरवल तथा पटना जिले में गंगा के समानांतर प्रवाहित होती हुई फतुहा के पास गंगा नदी में मिल जाती है। दरधा, यमुना, मादर, बिलारो, रामरेखा, आद्री, धोबा और मोरहर पुनपुन की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
पलामू के चौरहा पहाड़ी से इसका उद्गम होता है तथा फतुहा में गंगा नदी से मिल जाती है | यह नदी औरंगाबाद, गया जहानाबाद होते हुए फतूहा में गंगा नदी से मिलती है | पुनपुन नदी 200 किलोमीटर लंबी है | इस नदी में बरसात के समय तो बहुत ही ज्यादा पानी होता है लेकिन उसके बाद इस में पानी की मात्रा बहुत कम होती है | इस नदी का वर्णन वायु और पद्म पुराण में भी किया गया है | इसकी प्रमुख सहायक नदी मनोहर और दरघा है |
अजय नदी
• कुल लंबाई – 288 किमी.
• उद्गम स्थल – बटबाड़ (जमुई)
• संगम – गंगा (पश्चिम बंगाल)
अजय नदी जमुई जिले के दक्षिण में 5 किलोमीटर दूर बटबाड़ से निकलती है। यह नदी बिहार से झारखंड में देवघर जिले में प्रवेश करतीहै। इसे अजयावती या अजमती नाम से भी जाना जाता है। यह नदी पूरब एवं दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए बंगाल में प्रवेश कर गंगा नदी में मिल जाती है।
कर्मनाशा नदी
• कुल लंबाई – 192 किमी.
• उद्गम स्थल – सारोदाग (कैमूर)
• संगम – गंगा नदी
कर्मनाशा का अर्थ होता है—कर्म का नाश करनेवाला। यह नदी विंध्याचल की पहाड़ियों में सारोदाग (कैमूर) से निकलकर चौसा के पास गंगा नदी में मिल जाती है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नदी को अपवित्र या अशुभ माना जाता है।
कर्मनाशा नदी का उद्गम कैमूर जिला के अखाड़ा व भगवानपुर स्थित कैमूर की पहाड़ी से हुआ है | रोहतास जिले के चौसा के समीप गंगा नदी में मिल जाती है | कर्मनाशा नदी वाराणसी तथा आरा जिलों की सीमा पर बहने वाली नदी है | यह इस नदी को अपवित्र नदी माना जाता है| यह नदी इतना अपवित्र माना जाता है की नदी को पार करना या स्पर्श करना भी अपवित्र माना जाता है | कर्मनाशा नदी पर दो जलप्रपात छान्पत्थर तथा देवादारी है |
चानन नदी
इस नदी को पंचाने भी कहा जाता है। इसका मूल नाम पंचानन है, जो अपभंरशित होकर चानन कहलाने लगा। यह नदी पाँच धाराओं के मिलने से विकसित हुई है, इसलिए इसे पंचानन कहा जाता हैं। इस नदी की प्रमुख धाराएँ -पैमार, तिलैया, धरांजे, महाने आदि छोटानागपुर पठार से निकलती हैं। ये सारी धाराएँ राजगीर के पहाड़ी के अवरोध के कारण नालंदा जिला के गिरियक के पास एक होकर आगे प्रवाहित होती हैं।
क्यूल नदी
इसकी उत्पत्ति हजारीबाग के पठार से हुई है। यह बिहार में जमुई जिला के सतपहाड़ी के पास प्रवेश करती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ बर्नर, अंजन, हरोहर (हलाहल) आदि हैं। लखीसराय जिला के सूर्यगढ़ा के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
सकरी नदी
सकरी नदी का उद्गम स्थल झारखंड में छोटानागपुर पठार का उत्तरी भाग (हजारीबाग पठार) है। यह नदी बिहार के गया, पटना, नवादा और मुंगेर जिले में प्रवाहित होती हुई गंगा नदी में मिल जाती है। इस नदी को सुमागधी के नाम से भी जाना जाता है।
नदी किनारे स्थित प्रमुख शहर
• गंगा नदी – पटना ,बक्सर,भागलपुर,मोकामा ,मुंगेर
• गंडक – हाजीपुर,सोनपुर,मुजफ्फरपुर
• पुनपुन – फतुहा
• फल्गु – गया
• सरयू – छपरा
By - Admin
बिहार से झारखंड अलग हो जाने के बाद बिहार में खनिज का वह भंडार ना रहा जो भंडार झारखंड के अलग होने से पूर्व था, लेकिन इसके बावजूद बिहार में अभी कई ऐसे खनिज का भंडार है जो बिहार की आर्थिक समृद्धि के लिए सहायक हो सकती है। इस लेख में इन्हीं खनिजों के विषय में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
By - Admin
बिहार एक ऐसा राज्य जोकि प्राचीन काल से ही विद्वानों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें विश्व की प्राचीन विश्वविद्यालय के इतिहास होने का गौरव प्राप्त है। इस भूमि में प्राचीनकाल से ही कई साहित्यकार का जन्म हुआ, जिनकी कृति आज भी लोकप्रिय है।
By - Admin
झारखंड के नए राज्य के निर्माण के रुप में बनने के बाद बिहार में जनजाति ?