By - Gurumantra Civil Class
At - 2024-01-18 22:47:06
बौद्ध संगति
• प्रथम बौद्ध संगीति
1. राजगिरी के सप्तपर्णी गुफा में अजातशत्रु के शासनकाल में हुआ था |
2. प्रथम बौद्ध संगीति के अध्यक्ष महाकश्यप थे |
3. प्रथम बौद्ध संगीति में भगवान बुद्ध के दो प्रमुख शिष्य -आनंद और ऊपाली उपस्थित थे तथा इस संगति में बौद्ध की शिक्षाओं का संकलन हुआ | उन्हें सूत और विनय दो पिटको में विभाजित किया गया|
• द्वितीय बौद्ध संगीति
1. वैशाली के बलुकाराम विहार में हुआ |
2. इसके अध्यक्ष सब्ब्कामी थे |
3. 283 ईस्वी पूर्व में द्वितीय बौद्ध संगीति शासक कालाशोक के समय में आयोजित किया गया |
4. द्वितीय बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया |
5. महासांघिक या सर्वास्तिवाद | जिसका नेतृत्व किया था महाकश्यप ने किया | इन लोगों ने बौद्ध धर्म में कुछ नई बातों को स्वीकार किया था |
6. जिन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया वह स्थविर या थेरावादी कहलाए और इनका नेतृत्व किया था उज्जैन के महक्च्चयन ने |
• तृतीय बौद्ध संगीति
1. स्थान पाटलिपुत्र अध्यक्ष मोगलीपुत्त तिस्स |
2. 247 ईसवी पूर्व में पाटलिपुत्र के अशोकाराम बिहार में |
3. अशोक के शासनकाल में तीसरी बौद्ध संगति हुई|
4. इस संगति में तीसरा पिटक अभिधम्म नाम से संकलित किया गया तथा इस पिटक का ग्रंथ कथावततु का संकलन किया गया|
• चतुर्थ बौद्ध संगीति
1. कश्मीर का कुंडलवन में |
2. अध्यक्ष – वसुमित्र / उपाध्यक्ष अश्वघोष
3. 102 ईसवी में कनिष्क के शासन काल में कश्मीर के कुंडलवन में चतुर्थ बौद्ध संगति हुई | इस संगति में विभाषा शास्त्र नामक एक ग्रंथ की रचना हुई|
4. चतुर्थ बौद्ध संगीति में ही हीनयान और महायान नामक दो संप्रदाय के रूप में बौद्ध धर्म स्पष्ट रूप से विभाजित हो गया |
5. हीनयानी वस्तुतः स्थविरवादी थे और महायानी वस्तुतः महासंघिक थे |
6. बाद में हीनयान दो संप्रदाय में विभाजित हो गया – वैभाषिक एवं सौतांत्रिक और महायान भी दो शाखाओं में विभाजित हो गया माध्यमिकवाद और विज्ञानवाद
• बोधिसत्व
बोधिसत्व महायान का आदर्श है | बोधिसत्व ऐसे व्यक्ति होते हैं जो निर्वाण प्राप्त कर चुके होते हैं परंतु दूसरे लोगों के निर्माण में सहायता करते हैं |
त्रिपिटक
• इसकी भाषा पाली है| सुत्तपिटक, विनयपिटक और अभिधम्मपिटक यह तीनों ही त्रिपिटक कहे जाते हैं|
• सुत्तपिटक में बौद्ध धर्म के उपदेश संग्रहित हैं और यह 5 निकायों में विभाजित किया गया है| दीर्घ निकाय ,मज्झिम निकाय ,संयुक्त निकाय ,अंगुत्तर निकाय, खुद्दक निकाय |
• अंगुत्तर निकाय में ही 16 महाजनपदों का उल्लेख किया गया है|
विनयपिटक –
• विनयपिटक में भिक्षु और भिक्षुणियो के लिए संघ एवं दैनिक जीवन के नियमों का संग्रह है |
• विनयपिटक चार भागों में विभाजित है – पतिमोख ,सुत्त विभंग ,खंधक , परिवार
अभिधम्मपिटक –
• अभिधम्मपिटक में बौद्ध दर्शन के सिद्धांतों का वर्णन है और यह पिटक प्रश्न उत्तर के रूप में लिखी गई है |
• इसके अंतर्गत सात ग्रंथ आते हैं – धर्म संगिनी, विभंग , धातु कथा ,युग्गल पंचित , कथावत्थु , यमक तथा पट्ठान |
• दीपवंश तथा महावंश इनका संबंध मुख्यता- सिंहल दीप यानी श्रीलंका के इतिहास से है यह पाली भाषा में लिखा गया है तथा इसमें मौर्य इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है |
मिलिंदपन्हो –
• इसके रचयिता नागसेन है और इसमें यूनानी राजा मिनांडर और बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच में वार्तालाप का संकलन किया गया है| इसकी भाषा पाली है|
• बुद्ध चरित्र – इस महाकाव्य की रचना अशवघोष ने की है| इसमें महात्मा बुद्ध के जीवन का वर्णन मिलता है|
• सौंदरानंद- इसके लेखक अश्वघोष हैं | इसमें बुद्ध के सौतेले भाई सौंदरानंद के बौद्ध धर्म ग्रहण के ग्रहण करने के बारे में वर्णन किया गया है|
• सारिपुत्र प्रकरण- यह अश्वघोष द्वारा रचित एक नाटक है |
• वज्रसूची – यह अश्वघोष द्वारा रचित उपनिषद ग्रंथ हैप्रसिद्ध बौद्ध कालीन विद्वान एवं दार्शनिक
• अश्वघोष – कनिष्क के समकालीन थे |इन्होंने बुद्ध चरित्र, सौंदरानंद, सारिपुत्र प्रकरण, वज्र सूची आदि बौद्ध ग्रंथों की रचना की है |
• नागार्जुन – नागार्जुन को शून्यवाद का प्रवर्तक माना जाता है और यह आंध्र सातवाहन राजा यज्ञ श्री गौतमीपुत्र के मित्र और उनके समकालीन थे
• बुद्धघोष – इन्होंने विशुधिमग्ग ग्रंथ की रचना की जो हीनयान संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है |
• दिंगनाग – इन्हें मध्यकालीन न्याय के जनक के रूप में जाना जाता है और इन्होंने तर्कशास्त्र पर लगभग 100 से अधिक ग्रंथ लिखे है |
धर्मकीर्ति
• बौद्ध धर्म के त्रिस्कंध प्रज्ञा शील और समाधि है | इन 3 स्कन्धो के अंतर्गत अष्टांगिक मार्ग का वर्णन है |
• प्रज्ञा के अंतर्गत– सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प और सम्यक वाक हैं
• शील के अंतर्गत – सम्यक कर्मान्त ,सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम आते हैं
• समाधि के अंतर्गत- सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि आते है |
महात्मा बुद्ध के समकालीन प्रमुख व्यक्ति:-
• सारिपुत्र
• बिंबिसार – मगध का शासक | इन की पत्नी भी भिक्षुणी बनी थी |
• अजातशत्रु – मगध का शासक बिंबिसार का पुत्र
• प्रसनजीत – कौशल के राजा
• आनंद
• ऊपाली
• सुनीत
• मोदगलायन
• जीवक – मगध राज्य का वैध
• महाकश्यप
• महा प्रजापति गौतमी – यह महात्मा बुद्ध की मौसी थी और महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद के कहने पर इन्हें संघ में दीक्षित किया था| यह पहली महिला थी जो भिक्षुणी के तौर पर संघ में शामिल हुई थी|
• यशोधरा – महात्मा बुद्ध की पत्नी
• क्षेमा- राजा बिंबिसार की पत्नी
• आम्रपाली – वैशाली की गणिका
• नंदा – महा प्रजापति गौतमी की पुत्री
• विशाखा – अंग जनपद के भाद्दिये ग्राम के श्रेष्ठी की पुत्री | इसी के द्वारा किए धन दान से श्रावस्ती में पूर्वाराम बिहार का निर्माण हुआ|
महात्मा बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े हुए महत्वपूर्ण तथ्य :-
• महात्मा बुद्ध द्वारा गृह त्याग करने के बाद सबसे पहले वैशाली के अलार् कलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण किया
• अलार कलाम के बाद सिद्धार्थ को राजगीर में रूद्रक रामपुत्र ने शिक्षा दिया
• महात्मा बुद्ध ने अपने सभी उपदेश जनसाधारण की भाषा पाली में दी
• महात्मा बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश कौशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दी
• बुद्ध के जन्म और मृत्यु की तिथि हमें चीनी परंपरा के कैंटोन अभिलेख के आधार पर प्राप्त होता है
• बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य में पहला आर्य सत्य कि विश्व दुखों से भरा है यह सिद्धांत बुद्ध ने उपनिषद से लिया है
• बौद्ध धर्म में सम्मिलित होने की न्यूनतम आयु 15 वर्ष थी
• बौद्ध धर्म में प्रविष्ट होने के संस्कार को उपसंपदा कहा जाता था
• प्रथम बौद्ध संगीति राजगीर में हुई ,द्वितीय बौद्ध संगीति वैशाली में हुई ,तृतीय बौद्ध संगीति पाटलिपुत्र में हुई ,चतुर्थ बौद्ध संगीति कुंडल वन में हुए
• प्रथम बौद्ध संगीति के अध्यक्ष महाकश्यप थे, द्वितीय बौद्ध संगीति के अध्यक्ष सब्ब्कामी , तृतीय बौद्ध संगीति के अध्यक्ष मोगली पुत्र तिस्स थे और चतुर्थ बौद्ध संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र और उपाध्यक्ष अश्वघोष हैं
• प्रथम बौद्ध संगीति अजातशत्रु के शासनकाल में हुई, द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक के शासनकाल में हुई ,तृतीय बौद्ध संगीति अशोक के शासनकाल में हुई ,चतुर्थ बौद्ध संगीति कनिष्क के शासन काल में
• चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म स्पष्टता दो भागों में बट गया – हीनयान और महायान
• जातक कथाएं बौद्ध धर्म से संबंधित है
• बोधिसत्व का अवतार मनुष्य के रूप में भी हो सकता है पशुओं के रूप में भी हो सकता है और अन्य रूपों में भी हो सकता है
• सबसे पहले बुद्ध की मूर्ति मथुरा कला के अंतर्गत बनी वही
• सर्वाधिक बुद्ध मूर्तियां गंधार शैली में बनी
• महात्मा बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयायी शासकों में बिंबिसार, प्रसनजीत तथा उद्यान थे
• महात्मा बुद्ध ने तपस्स और काल्लिक नामक दो शुद्रो को बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयाई बनाया था
• मृत्यु के पूर्व कुशीनारा में परिव्राजक सुभच्छ को उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था
• बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं – बुद्ध, धर्म और संघ
• बौद्धों का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार वैशाख पूर्णिमा है |इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं |इस का इतना महत्व इसीलिए है क्योंकि इसी दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ ,उन्हें ज्ञान प्राप्ति हुई और उनका महापरिनिर्वाण भी हुआ
• महात्मा बुद्ध से जुड़े 8 प्रमुख स्थान – लुंबिनी, गया ,सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती ,संकास्य ,राजगीर तथा वैशाली को बौद्ध ग्रंथों में अष्ट महास्थान कहा जाता है|
• प्रथम बौद्ध संगीति में दो पिटक को संकलित किया गया – विनयपिटक तथा सुत्तपिटक
• द्वितीय बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म स्थाविर तथा महासंघिक दो भागों में बट गया
• तीसरे बौद्ध संगति में तीसरा पिटक अभिधम्मपिटक का संकलन किया गया
• चतुर्थ बौद्ध संगति में बौद्ध धर्म दो संप्रदायों में बट गया हीनयान तथा महायान
• महात्मा बुद्ध के पंचशील सिद्धांत का वर्णन छांदोग्य उपनिषद में मिलता है
महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित बौद्ध धर्म के प्रतीक
घटना - प्रतिक / चिन्ह
1. जन्म - कमल
2. गृहत्याग - घोड़ा
3. ज्ञान - पीपल वृक्ष
4. निर्वाण - पदचिन्ह
5. मृत्यु - स्तूप
• बोरोबुदुर का बौद्ध स्तूप विश्व का सबसे विशाल स्तूप है| इसका निर्माण शैलेंद्र राजाओं ने मध्य जावा इंडोनेशिया में करवाया ।
• बुद्ध के अस्थि अवशेषों पर भटटी दक्षिण भारत में निर्मित प्राचीनतम स्तूप को महास्तूप की संज्ञा दी गई है ।
• सांची ,भरहुत, अमरावती के स्तूप अशोक के शिलालेखों ,अजंता-एलोरा,बराबर कि गुफाएं बौद्ध कालीन स्थापत्य कला और चित्रकला का श्रेष्ठतम आदर्श है ।
• नागार्जुन को भारत के आइंस्टीन के रूप में जाना जाता है ।
• भविष्य में अवतार लेने वाले बुद्ध का नाम होगा मैत्रेय है ।बुद्ध इन्हें संभावित बुद्ध भी कहा जाता है।
• बुद्ध के जीवन से संबंधित क्रमिक घटनाएं – लुंबिनी, बोधगया ,सारनाथ ,कुशीनगर ।
• महायान संप्रदाय का उदय आंध्र प्रदेश में माना जाता है ।
• हीनयान का आदर्श अहर्त है वही महायान का आदर्श बोधिसत्व है ।
• शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन है | उनकी प्रसिद्ध रचना है माध्यमिक कारिका ।
• अशोक, मिनांडर कनिष्क तथा हर्षवर्धन आदि ने बौद्ध धर्म के प्रसार में विशेष योगदान दिया ।
बौद्ध धर्म के प्रसार के कारण
• महात्मा बुद्ध का प्रभाव पूर्ण व्यक्तित्व ।
• जनसाधारण के रूप में पाली भाषा का प्रयोग ।
• बौद्ध धर्म की अपनी सरलता ।
• राजकीय संरक्षण ।
• जातिगत भेदभाव का अभाव ।
• तत्कालीन ब्राह्मण धर्म से मोहभंग के कारण व्यापारियों एवं साहूकारों द्वारा उदारता पूर्ण दान देना और समर्थन करना ।
• नियमों की कठोरता का अभाव ।
• बौद्ध धर्म के पतन के कारण ।
• बौद्ध धर्म के द्वारा कर्मकांडों और अनुष्ठानों को अपनाना ।
• पाली की जगह संस्कृत भाषा पर जोड़ देना ।
• बौद्ध विहारों में विलासिता एवं व्यभिचार का बोलबाला ।
• ब्राह्मण धर्म में सुधार ।
• बौद्ध संघ में विभेद और विभिन्न संप्रदायों में विभाजित हो जाना ।
• हिंदू शासकों द्वारा बौद्ध धर्म को नुकसान पहुंचाना जैसे पुष्यमित्र शुंग आदि ।
By - Admin
बिहार से झारखंड अलग हो जाने के बाद बिहार में खनिज का वह भंडार ना रहा जो भंडार झारखंड के अलग होने से पूर्व था, लेकिन इसके बावजूद बिहार में अभी कई ऐसे खनिज का भंडार है जो बिहार की आर्थिक समृद्धि के लिए सहायक हो सकती है। इस लेख में इन्हीं खनिजों के विषय में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
By - Admin
बिहार एक ऐसा राज्य जोकि प्राचीन काल से ही विद्वानों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें विश्व की प्राचीन विश्वविद्यालय के इतिहास होने का गौरव प्राप्त है। इस भूमि में प्राचीनकाल से ही कई साहित्यकार का जन्म हुआ, जिनकी कृति आज भी लोकप्रिय है।
By - Admin
झारखंड के नए राज्य के निर्माण के रुप में बनने के बाद बिहार में जनजाति ?